Atmadharma magazine - Ank 367
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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सोनगढमां परमागम–मंदिर प्रतिष्ठामहोत्सव आनंदथी पूरो
थयो, अने मु. श्री रामजीभाईनुं सन्मान करवामां आव्युं त्यारे
प्रत्युत्तरमां मु. श्री रामजीभाई कहे छे के आ बधो प्रताप गुरुदेवनो छे.
परमागमनुं रहस्य तेओए ज आपणने समजाव्युं छे. आपणे तेनो
लाभ लईए ने आपणा आत्माने आ जन्ममरणथी छोडावीए. सौना
सहकारथी आ काम पार पड्युं छे.
आ प्रसंगे सौ खूब ज संतोषनी लागणी अनुभवता हता.