Atmadharma magazine - Ank 367
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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रु चालो जईए...श्रीगुरुना पावन पंथे रु
वैशाख सुद बीज...एटले आपणा गुरुदेवनी जन्मजयंतिनो उत्तम दिवस...
भारतभरना मुमुक्षुओ आजनो दिवस आनंदथी उजवे छे. अहा, जे कहानगुरुए
जिनमार्गनुं रहस्य बतावीने आपणने जैन बनाव्या, अरिहंतोनुं अने संतोनुं
अध्यात्मजीवन केवुं होय ते समजावीने जेमणे आपणने अध्यात्मजीवन जीवतां
शीखव्युं, मोक्षनी साधना आनंदमय छे–एम देखाडी जेमणे आपणने दुःख ने
कलेशना मार्गेथी छोडाव्या, ने आनंदना मार्गमां लीधा, आत्मानी आराधना ए
ज आ मनुष्यजीवननुं साचुं ध्येय छे एम बतावीने जेमणे जीवनना ध्येय तरफ
वारंवार आपणने प्रोत्साहित कर्या, जेम कुंदकुंदाचार्यदेवने तेमना परापरगुरुओए
अनुग्रहपूर्वक शुद्धात्मतत्त्वनो उपदेश आपीने निजवैभव आप्यो हतो तेम
जेओए अनुग्रहपूर्वक आपणने निरंतर शुद्धात्मतत्त्वनो उपदेश आपीने
अचिंत्यआत्मवैभव देखाडयो छे, अने जेमनुं भूत–भविष्यनुं जीवन आपणने
तीर्थंकर भगवंतो प्रत्ये परम भक्ति जगाडे छे–एवा आ गुरुदेवनो जन्मोत्सव
उजवतां आत्मा उल्लसित थाय छे, अने एमनी मंगल चरणछायामां शुद्धात्मानी
आराधना पामीने जीवनमां अतीन्द्रिय आनंदनी मधुर ऊर्मिओ जागे छे.
हे गुरुदेव! आपना जीवनमांथी शुद्धात्मानी आराधना शीखीने ए
जीवननो महोत्सव ऊजवीए छीए. आपश्रीना कल्याणकारी मंगल आशीर्वाद
पामीने अमे धन्य बन्या छीए. अने भारतना समस्त मुमुक्षुओ आपने आनंदथी
अभिनंदीए छीए.
हे मुमुक्षुओ! गुरुसेवानो साचो लहावो लेवो होय तो तमारा ज्ञानने
अचिंत्य महिमावंत शुद्धात्मतत्त्वमां जोडीने तेनी अनुभूति करो, त्यारे ज गुरुनी
अने गुरुना मार्गनी अपूर्व महत्ता तमने समजाशे.
– हरि.