परमागम–मंदिरनी भव्यताने
शोभावे एवा वीरनाथ
वीतरागतानी लहेर ऊठे छे.
जेम, अंदर द्रष्टि करीने
शुद्धात्माने जाणे त्यारे ज
परमागमनी गंभीरतानो साचो
ख्याल आवे छे तेम, अंदर
आवीने ज्यारे तमे आ
वीतरागताना पिंड महावीर–
परमात्माने जुओ त्यारे ज
भव्यतानो खरो ख्याल आवे छे.
अहा! परमागममां प्रभुसन्मुख
बेठा छीए त्यारे चारेकोर
परमागमोमांथी वीतरागरसनी
मधुरी लहेरीओ उल्लसी रही
छे....ने दिव्यध्वनिना पडघा
संभळाई रह्या छे आवो.....
सन्मुख बेसो....ने चैतन्यनी
गंभीर शांतिनो स्वाद चाखो.