Atmadharma magazine - Ank 367
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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परस्पर अभिनंदन.....(ती र्थ र क्षा फं ड)
श्री पूरनचंदजी गोदिका अने श्री शांतिप्रसादजी साहू
(सोनगढमां परमागम–मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव प्रसंगे तीर्थरक्षानिधि
फंडनी जाहेरात थई, त्यारबाद शेठश्री साहुजी तथा गोदीकाजी एकबीजाने
अभिनंदी रह्या छे. तीर्थरक्षाफंड माटे उत्साह सारो हतो; परंतु आ बाबतमां
घणा साधर्मीओनो एवो विचार छे के, ज्यारे एक अखिल भारतीय दि. जैन
तीर्थरक्षा कमिटि काम करी ज रही छे त्यारे तेनी अंतर्गत रहीने कार्य थाय ते
वधु सारूं छे. आपणा समस्त दि. जैनसमाजना तीर्थो एक ज छे–तो तेनी रक्षा
माटेनुं फंड पण एक ज होय–ते ईच्छनीय छे. हा, ते तीर्थक्षेत्र कमिटिमां
आपणा सौराष्ट्र–गुजरातना सभ्यो पण भाग ल्ये ते ईष्ट छे. सौराष्ट्रमां
सौथी प्रथम गीरनार तीर्थक्षेत्र उपर ध्यान आपवुं खूब ज जरूरी छे.
नेमप्रभुना मोक्षनी पांचमी टूंक तथा प्रभुना दीक्षा अने केवळज्ञाननुं धाम
सहस्र–आम्रवन धीमे धीमे जैनोना हाथमांथी साव सरकी न जाय ते माटे
श्वेतांबर अने दिगंबर बंने जैनसमाजे साथे मळीने ध्यान आपवुं अत्यंत
जरूरी छे. – सं.)