घणा साधर्मीओनो एवो विचार छे के, ज्यारे एक अखिल भारतीय दि. जैन
तीर्थरक्षा कमिटि काम करी ज रही छे त्यारे तेनी अंतर्गत रहीने कार्य थाय ते
वधु सारूं छे. आपणा समस्त दि. जैनसमाजना तीर्थो एक ज छे–तो तेनी रक्षा
माटेनुं फंड पण एक ज होय–ते ईच्छनीय छे. हा, ते तीर्थक्षेत्र कमिटिमां
आपणा सौराष्ट्र–गुजरातना सभ्यो पण भाग ल्ये ते ईष्ट छे. सौराष्ट्रमां
सौथी प्रथम गीरनार तीर्थक्षेत्र उपर ध्यान आपवुं खूब ज जरूरी छे.
नेमप्रभुना मोक्षनी पांचमी टूंक तथा प्रभुना दीक्षा अने केवळज्ञाननुं धाम
सहस्र–आम्रवन धीमे धीमे जैनोना हाथमांथी साव सरकी न जाय ते माटे
जरूरी छे. – सं.)