Atmadharma magazine - Ank 370
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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आवी श्रावणनी बीजलडी आनंददायिनी हो बेन,
–सुमंगलमालिनी हो बेन!
जन्म्यां कुंवरी माता–‘तेज’–घरे महा पावनी हो बेन,
–परम कल्याणिनी हो बेन!
ऊतरी शीतळतानी देवी शशी मुख धारती हो बेन,
–नयनयुग ठारती हो बेन!
निर्मळ आंखलडी सूक्षम–सुमति–प्रतिभासिनी हो बेन,
–अचल–तेजस्विनी हो बेन!
(साखी)
मातानी बहु लाडिली, पितानी काळज–कोर;
बंधुनी प्रिय ब्हेनडी, जाणे चंद्र–चकोर.
ब्हेनी बोले ओछुं, बोलाव्ये मुख मलकती हो बेन,
–कदीक फूल वेरती हो बेन!
सरला, चित्तउदारा, गुणमाळा उर धारिणी हो बेन,
–सदा सुविचारिणी हो बेन!.........आवी
(साखी)
वैरागी अंतर्मुखी, मंथन पारावार;
ज्ञातानुं तल स्पर्शीने, कर्यो सफळ अवतार.
ज्ञायक–अनुलग्ना, श्रुतदिव्या, शुद्धिविकासिनी हो बेन,
–परमपदसाधिनी हो बेन!
संगविमुख, एकल निज–नंदनवन–सुविहारिणी हो बेन,
–सुधा–आस्वादिनी हो बेन!......आवी
(साखी)
स्मरणो भव–भवनां रूडां, स्वर्णमयी ईतिहास,
–दैवी उर–आनंदिनी ‘चंपा’ पुष्प–सुवास.
कल्पलता मळी पुण्योदयथी चिंतितदायिनी हो बेन,
–सकलदुखनाशिनी हो बेन!
मुक्ति वरुं–मनरथ ए मात पूरो वरदायिनी हो बेन,
–महाबलशालिनी हो बेन!.......आवी