Atmadharma magazine - Ank 370
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण–भाद्र : रप०० आत्मधर्म : १ :



धर्मकाळ अहो वर्ते,
तीर्थधाम सुवर्णमां;
ज्ञानसुधा सदा वर्षे
गुरु कहान मुखे जहां.
अध्यात्मयुगप्रवर्तक मंगलमूर्ति परमकृपाळु परमपूज्य गुरुदेव
श्री कानजीस्वामीना सत्प्रतापथी सुवर्णपुरीमां वीतराग जैनधर्मनो सदैव जयजयकार
वर्ते छे; तेओश्रीना मंगल प्रभावथी अनेक मंगल उत्सवो पण संपन्न थाय छे. पूज्य
गुरुदेवना परम भक्त, मुमुक्षुसमाजना शिरोमणि, प्रशममूर्ति भगवती पूज्य बहेनश्री
चंपाबेननी षष्टिपूर्ति हीरक जन्मजयंतीनो मंगल महोत्सव श्रावण वद बीजना रोज
सुवर्णपुरीमां सौ मुमुक्षु भक्तजनो द्वारा अति आनंदोल्लास साथे ऊजववामां आव्यो.
श्रावण मास बेसतां ज सोनगढमां जन्मजयंतीना आ मंगल उत्सवनी
तैयारीओ माटे मुमुक्षुहृदयो थनगनी ऊठे छे; देशविदेशमां वसता साधर्मीओ, पूज्य