Atmadharma magazine - Ank 374
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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(१) मागशर सुद अगियारसे जेओ मुनि थया, ने पछी मागशर वद बीजे जेओ
केवळज्ञान पाम्या, ते तीर्थंकर कोण?
(२) एक वखत एवुं बन्युं के, एक भगवान पासे सुंदर वस्तु त्रण हती ते वधीने
चार थई; बे वस्तु वधीने त्रण पूरी थई; ने असुंदर वस्तु बे हती ते घटीने
एक ज रही. आ बन्युं ते दिवसे मागशर सुद ११ हती. तो ते क्या
भगवान? अने शुं बन्युं?
(३) एकवार एक जीवने एवुं बन्युं के, ते एक गतिमांथी बीजी गतिमां गयो,
तेनी आखी गति पलटी गई.–गति पलटवा छतां तेनुं ज्ञान एटलुं ने एटलुं
ज रह्युं, न वध्युं के न घट्युं; तेने ज्ञान एटलुं ने एटलुं रहेवा छतां तेना
क्षायिकभावो वधी गया. आ वात बनी–आसो वद अमासे.–तो ते जीव
कोण? अने शुं बन्युं?
(४) कुंभ–प्रभाना पुत्र जे, ने त्रण जगतना पिता;
सोमे वर्षे दीक्षा लीधी, विवाह न जेणे कीधा.
छ ज दिवसमां केवळ लईने लोकालोकने दीठा,
मिथिलापुरमां दीठा एनां वचन मीठा–मीठा–ए कोण?
(५) एक तीर्थंकर भगवान चौदमा गुणस्थाने बिराजमान छे तेमने मारे जोवा
छे; ते माटे हुं गीरनार गयो पण त्यां ते भगवान न हता; सम्मेदशिखर
गयो त्यां पण न हता; चंपापुरी–पावापुरीमां पण न हता; शेत्रुंजय उपर
पण न हता. तो ते भगवान क्यां हशे?
सवारना प्रवचनमां श्री प्रवचनसारमां ज्ञेयतत्त्व–प्रज्ञापन वंचाय छे. बपोरे
समयसार–कळश उपर प्रवचन थता हता ते पूर्ण थईने कारतक वद तेरसथी पूज्य–
पादस्वामीरचित समाधिशतकनुं वांचन शरू थयुं छे. भोपाल तथा बेंगलोरमां
जिनबिब–पंचकल्याणक–प्रतिष्ठामहोत्सव निमित्ते, तेम ज अन्य अनेक स्थळोए
मंगल प्रसंगे पू. श्री कानजीस्वामीना विहारनो कार्यक्रम गोठवाई रह्यो छे. भोपालमां
माह वद त्रीजनुं मूरत छे; त्यांनो कार्यक्रम माह सुद १० थी माह वद त्रीज, ता. २१
थी २८ फेब्रुआरी सुधीना आठ दिवस छे. तथा बेंगलोरमां चैत्र सुद तेरसनुं मूरत
छे; त्यांनो कार्यक्रम फागण वद १२ थी चैत्र सुद १३ सुधीनो छे. वैशाख सुद बीज
अमदावादमां थशे. विगतवार कार्यक्रम हवे पछी नक्क्ी थतां प्रसिद्ध थशे.