Atmadharma magazine - Ank 375
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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फोन नं. : ३४ “आत्मधर्म” Regd. No. G. 128
बाळकोनी कलमे–
(आत्मधर्म वांचनारा बाळकोने
घणीवार आत्मासंबंधमां केवी मजानी उर्मि
जागे छे–ते आप आ भांग्यातूट्या
काव्यामां जोशो.)
(१) वात ज न्यारी
पंचमकाळे पंचमगतिनी वात ज न्यारी,
एमां पण अंतरमां बेसवानी बलीहारी,
दुःखमय संसारथी छूटवानी छे वारी,
माटे तुं प्रगटावी दे सुज्ञाननी चिनगारी,
ले तारी नावने मधदरियेथी उगारी.
(२) देखो आतमराममां
थया छे भेगा परमाणु पुद्गलना,
फायदो शुं छे अरे, एमां राचवामां!
कल्याण माटे नथी ए कंई कामना,
एना माटे रटण करो आतमाना,
परथी लक्ष छोडो, देखो चेतनराममां.
(३) सुंदर जीवन जीवी ले
संसारनो तुं रंग छोडी दे.
सिद्धनी साथे तुं संग जोडी दे.
मोह–मिथ्यात्वना भाव छोडी दे,
जिन स्वभाव ज्ञान, तेमां द्रष्टि जोडी दे,
सुंदर सुखझरतुं तुं जीवन जीवी ले.
* अमृत जेवुं औषध *
संसाररसनी चीकास एवी आकरी
छे के चैतन्यना महान वीतरागीरसवडे ज
ते तूटी शके छे. चैतन्यरस जेवुं महान सुंदर
बीजुं कांई नथी; ते ज बधाय रोगनो नाश
करनारुं अमृत जेवुं मीठुं औषध छे.
* वाह रे वाह! चैतन्यरस! *
अरे, जीवनना आवा अवसरमां,
अने आवा मजाना जैन देवगुरुशास्त्र
पामीने, हवे तो हे जीव! तुं तारा
चैतन्यरसने चाख! आ संसारना–कषायना
कडवारसने क्यां सुधी चाखीश! अकषाय–
शांत–मीठा चैतन्यरसने झट चाखी ले!
वाह रे वाह, चैतन्यरस! तें तरस्या
सूचना: गुजरातमां दुष्काळना वर्षने
कारणे आ वर्ष दरमियान सोनगढमां कहान
–राहत केन्द्र ट्रस्ट तरफथी पांचसो जेटली
गायोने हंमेशां घासचारो नीरवामां आवे
छे; ने ते माटे फंड थयेल छे–जे चालु छे. फंड
माटेनी रकमो “श्री कहान राहत केन्द्र–
ट्रस्ट” ए नामथी मोकलवा सूचना छे. आप
पण आ कार्यमां आपनो सहकार आपी
शको छो.
प्रकाशक: श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट. सोनगढ (सौराष्ट्र) पोष
मुद्रक: मगनलाल जैन, अजित मुद्रणालय, सोनगढ (सौराष्ट्र) प्रत ३६००