Atmadharma magazine - Ank 375
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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(३) त्रीजी टूंक श्री कृष्ण–पुत्र शंबुकुमारना मोक्षगमनथी पावन थई छे; अंबाजीना
मंदिर पासे तेमनां चरणपादूका शोभी रह्या छे.
(४) ऊंची ऊंची चोथी टूंक प्रद्युम्नकुमारनी मोक्षसाधनानो सन्देश आपी रही छे. आ
चोथी टूंक उपर पर्वतमां जिनमूर्ति तथा प्रद्युम्नप्रभुनां चरणचिह्न कोतरेला छे.
(त्यां न चढी शको तो आप पांचमी टूंक उपरथी पण तेनां दर्शन करी शकशो.)
(५) भगवान नेमिनाथ तीर्थंकरना मोक्षकल्याणकथी पावन थयेली पांचमी टूंक
भव्यजीवोने मोक्षनो संदेश आपी रही छे. त्यां पर्वतमां कोतरेली जिनमूर्ति
(जर्जरित हालतमां) छे, तथा नेमप्रभुना पगलां छे. आ पगलां देश–काळ
अनुसार फूलथी ढांकेला के जे हालतमां होय ते हालतमां दर्शन करीने संतोष
मानी लेवो, फूल दूर करवानो के बीजो कोई आग्रह करवो नहि.–वैराग्यथी
मोक्षभावना भाववी.
* सहस्रआम्रवनना रस्ते जतां गौमुखीगंगाना स्थाने २४ तीर्थंकरोनां
चरणचिह्ननां दर्शन थशे.
नेमिनाथ के जेओ आनंदनुं धाम छे–तेमनी स्तुति करतां श्री पद्मप्रभमुनि कहे
छे के–
शतमख–शतपूज्यः प्राज्य सद्बोधराज्यः
स्मरतिरसुरनाथः प्रास्तः दुष्टाधयुथः।
पुदनत वनमाली भव्यपद्मांशुमाली
दिशतु शमनिशं नो नेमिरानन्दभूमिः।।
जेओ सो ईन्द्रो वडे पूज्य छे, जेमने सम्यग्ज्ञानरूपी विशाळ राज्य छे, कामने
जीतनारा लोकांतिक देवोना जेओ नाथ छे, दुष्ट पापसमूहनो जेमणे नाश कर्यो छे,
श्रीकृष्ण जेमनां चरणोमां नम्या छे; भव्यकमळने विकसाववामां जेओ सूर्यसमान छे, ते
आनंदभूमि नेमिनाथ अमने शाश्वतसुख आपो.
–जय गीरनार
–जय नेमिनाथ