Atmadharma magazine - Ank 378
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २५०१ आत्मधर्म : ६९ :
पोते अनंत आनंदने साध्यो....ने जगतने आनंदनो मार्ग बताव्यो
महावीरभगवानना मंगल जन्म दिवसे चैत्रसुद तेरसे
आनंदमय वातावरणमां गतवर्षे गुरुदेवे कह्युं के अहो! आजे
प्रभुना जन्मनो मंगल दिवस छे. अनंत–अनंत आनंदस्वरूप
आत्मा छे, तेमां सन्मुखता थवी ते मंगळ छे. आनंदस्वरूपमां
सन्मुखता थतां ज परभावोथी विमुखता थई जाय छे, ने आत्मामां
मोक्षना भणकार आवी जाय छे. भगवान महावीर आवा आनंद–
स्वरूपने पाम्या....ने जगतने तेवा आनंदनो उपदेश आप्यो...
–आवा भगवानना जन्मकल्याणकनो आजे मंगल दिवस छे.
(चैत्र सुद तेरसना प्रवचनमांथी)
जन्म तो तेनो सफळ छे के जेणे फरीने जन्मवानुं बंध कर्युं. भगवान महावीर
आ अवतारमां जन्मीने सिद्धपदने पाम्या. पावापुरीमां जे क्षेत्रेथी प्रभु मोक्ष पाम्या त्यां
उपर लोकाग्रे प्रभु सादि अनंतकाळ सुधी सिद्धपदमां बिराजे छे. पहेलवहेला सं. २०१३
मां त्यां यात्रा करवा गया हता. –एवा सिद्धक्षेत्रनी यात्रा करतां प्रभुनी स्मृति थाय छे
के अहो! भगवान आनंदस्वरूपमां लीन थईने अहींथी सादिअनंत सिद्धपदने पाम्या.
आवा महावीर भगवानना जन्मनो आजे मंगळ दिवस छे.
भगवान महावीर ३० वर्ष कुमार अवस्थामां रह्या, पछी मुनि थई साडाबार
वर्ष मुनिदशामां विचर्या;, ने पछी केवळज्ञान पामीने ३० वर्ष सुधी अरहिंतपदे रहीने
जगतने कल्याणनो उपदेश आप्यो. ते भगवान महावीरे केवळज्ञान थया पछी
समवसरणमां जे उपदेश आप्यो तेनो अंश आ समयसारमां छे; तेमां मोक्षना उपायरूप
भेदज्ञान केम थाय तेनी वात चाले छे. प्रथम तो आत्मानुं स्वलक्षण चैतन्य छे; ने
बंधनुं लक्षण रागादिक छे. रागादिकभावोने बंध साथे समपणुं छे, आत्माना चेतन–
स्वभाव साथे रागादिकने समपणुं नथी; चेतनलक्षण आत्माना समस्त गुणपर्यायमां
रहेलुं छे; तेना वगरना कोई गुण–पर्याय होतां नथी; त्यारे राग वगरनो तो आत्मा