Atmadharma magazine - Ank 378
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: ७० : आत्मधर्म : चैत्र : २५०१
अनुभवाय छे. आ रीते रागने अने चेतनाने अत्यंत भिन्न जाणतावेंत चेतनास्वरूपे
आत्मा अनुभवाय छे, ने बंधभावो ते अनुभूतिथी जुदा रही जाय छे. अरे जीव!
एकवार रागथी भिन्न चेतनावडे आत्माने लक्षगत तो कर, तने पूर्वे कदी न थई होय
एवी अपूर्व शांतिनुं वेदन थशे....मोक्षना भणकार अत्यारे ज आवी जशे.
अत्यारे भगवान महावीरनुं शासन चाले छे; तेमनो आजे जन्मकल्याणकनो
दिवस छे. जन्म तो जगतमां घणां जीवोनां थाय छे, पण भगवाननो तो आ जन्म
तीर्थंकर तरीकेनो जन्म हतो; आ जन्ममां केवळज्ञान प्रगट करीने तेमणे जगतने
मोक्षनो मार्ग बताव्यो, तेथी भगवाननो जन्म ते मंगळरूप छे, ते कल्याणक तरीके
उजवाय छे. आ भव पहेलांं भगवानने आत्मानुं भान हतुं ने तीर्थंकर नामकर्म बांध्युं
हतुं. पछी ज्यारे त्रिशलामातानी कुंखे प्रभु स्वर्गमांथी अवतर्या त्यारे पण आत्मानुं
भान तेम ज अवधिज्ञान सहित हता. भगवाननो जन्म थतां ईन्द्र आवीने
भगवानना माता–पितानी पण स्तुति करे छे: अहो माता! तुं जगतनी माता छो, तारा
उदरमां जगतना नाथ तीर्थंकर बिराजे छे, तेथी तुं रत्नकुंखधारिणी छो. भगवाननुं तो
बहुमान करे, पण तेमना मातानुं पण बहुमान करे छे. हे माता! वीरप्रभु तारो तो पुत्र
छे पण अमारो तो परमेश्वर छे; तारो भले पुत्र, पण जगतनो ते तारणहार छे.
–आम कहीने ईन्द्रो माताने नमस्कार करे छे.
भगवान तो जन्मथी ज त्रण ज्ञान सहित छे. आत्मानुं सामर्थ्य अद्भुत छे;
तेनुं भान करीने तेनो विकास करतां करतां आ भवमां भगवाने पूर्ण परमात्मपद
साधी लीधुं. आत्मामां अनंत सामर्थ्य छे. आत्मानो पूर्ण विकास तो बधा अरिहंत–
केवळीभगवंतोने होय छे, पण तीर्थंकरना आत्माने पवित्रतानी साथे पुण्य पण विशिष्ट
होय छे, तेमनी दिव्यध्वनि वडे जगतना लाखो–करोडो जीवो धर्म पामे छे. भरतक्षेत्रमां
एवा तीर्थंकरना अवतारनो आजे दिवस छे. जीवो पोतानी चैतन्यसंपदाने पामे अने
मुक्तिना पंथे दोराय–एवो उपदेश तीर्थंकरोनी वाणीमां होय छे. आवा भगवानना
जन्मने ईन्द्रो पण ऊजवे छे. अहा, जेणे अनादि संसारनो अंत कर्यो ने आत्मानुं
परमात्मपद प्रगट कर्युं, सादि–अनंत मुक्तदशा जेमणे प्रगट करी–एवा आत्मानो जन्म
ते सफळ छे, ने तेना उत्सव उजववामां आवे छे. बाकी जन्मीने जेणे आत्मानुं कांई कर्युं
नथी एनो जन्मोत्सव शो? एनो जन्म तो निष्फळ छे. जन्मीने रागादिमां रखडे–
एनां ते जन्मोत्सव शा? जन्म तो तेना उजवाय के जेणे फरीने जन्मवानुं बंध