: चैत्र : २५०१ आत्मधर्म : ७१ :
कर्युं; जेणे संसारमां अवतरवानुं बंध कर्युं ने मोक्षने साध्यो, तेनो अवतार सफळ छे.
–एवा भगवाननो आजे जन्म–कल्याणक दिवस छे.
अहो, भगवान ज्ञान अने रागनी अत्यंत भिन्नता बतावी छे. चैतन्यलक्षण ते
आत्मा छे, ने राग ते बंधन एटले के अंदर संसार छे; ए बंनेने जुदा अनुभववा ते
मोक्षनो उपाय छे. ए बंनेनुं भिन्नपणुं भगवती ज्ञानचेतना वडे अनुभवी शकाय छे.
भगवान महावीरे एवा अनुभव वडे मोक्षने साध्यो, ने जगतने तेनी रीत बतावी.
भगवाने कहेलो मार्ग जे समजे तेणे ज महावीर भगवाननो खरो जन्मोत्सव ऊजव्यो
कहेवाय, ने तेना जन्म–मरणनो अंत आवी जाय.
अहो, भेदज्ञाननी रीत बतावीने संतोए मोक्षना मारग खोली नांख्या छे.
जुओ, आ महावीर भगवाननो मार्ग! ते मार्ग आजे पण जयवंत वर्ते छे.
चालो साधर्मीओ! प्रभुना अढीहजारवर्षीय–निर्वाणमहोत्सवमां आनंदथी
हळीमळीने आपणे प्रभुना मार्गे जईए.
आत्मधर्म मासिक–पत्र संबंधी माहिती
प्रकाशन स्थान–श्री दि. जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)
प्रकाशन तारीख–दरेक मासनी वीसमी तारीख.
प्रकाशक–श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ.
तंत्री–पुरुषोत्तमदास शिवलाल कामदार, भावनगर.
संपादक–ब्र. हरिलाल जैन सोनगढ.
मुद्रक–मगनलाल जैन, अजित मुद्रणालय, सोनगढ.
राष्ट्रीयता–भारतीय.
मालिक–श्री दि. जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट सोनगढ.
आथी हुं जाहेर करुं छुं के उपरोक्त विवरण मारी जाणकारी अने विश्वास
अनुसार सत्य छे. व्यवस्थापक – (मेनेजर)
ता. २०–४–७५ श्री दि. जैन. स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट, सोनगढ.