Atmadharma magazine - Ank 378
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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फोन नं. ३४ : “आत्मधर्म” Regd. No. G.B.V.10
लहरायेगा लहरायेगा झंडा श्री महावीरका
तीर्थंकरने जो फरकाया,
रत्नत्रयका मार्ग दिखाया.
अनेकान्तका चिह्न लगाया,
झंडा श्री महावीरका.....


सब जैनोंका जो है प्यारा, आत्मधर्मका चमकीत तारा,
सब साधकका पूर्ण सहारा, झंडा श्री महावीरका......
शासनका सौभाग्य बढाता, सुब जीवोंको आनंददाता,
स्वालंबनका पाठ पढाता, झंडा श्री महावीरका....
प्रकाशक: श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट सोनगढ (सौराष्ट्र) चैत्र
मुद्रक: मगनलाल जैन, अजित मुद्रणालय, सोनगढ (सौराष्ट्र) प्रत ३६००