
रत्नत्रयका मार्ग दिखाया.
अनेकान्तका चिह्न लगाया,
झंडा श्री महावीरका.....
सब जैनोंका जो है प्यारा, आत्मधर्मका चमकीत तारा,
सब साधकका पूर्ण सहारा, झंडा श्री महावीरका......
शासनका सौभाग्य बढाता, सुब जीवोंको आनंददाता,
स्वालंबनका पाठ पढाता, झंडा श्री महावीरका....
मुद्रक: मगनलाल जैन, अजित मुद्रणालय, सोनगढ (सौराष्ट्र) प्रत ३६००