रूा. भरनार कायमी ग्राहकोनी संख्या ४१४ छे. भारत बहार परदेशोमां १३०
प्रतो जाय छे. वार्षिक लवाजम (लागत करतां अडधी किंमत) छ रूपिया भरीने
आप पण आत्मधर्मना ग्राहक परिवारमां दाखल थई जाओ....आत्मधर्मनुं
नियमित वांचन आपने अनेरी शांति आपशे. सर्वे जीवोना आत्महितने
अनुलक्षीने उत्तमशैलीथी तेनुं संपादन थाय छे.
जिज्ञासुओना सहकारथी आ पत्र संस्था मात्र अडधी किंमते आपे छे; अने तेमां
पण जिज्ञासुओना विशेष सहकार अनुसार क््यारेक वधु पानां पण आपीए
छीए. वीतरागी साहित्यनो मोटो भंडार आपणी पासे भर्यो छे ने श्री गुरुप्रतापे
नित–नवीन आवक पण थया ज करे छे. आत्मधर्ममां ते साहित्य वधु ने वधु
पीरसाय ते माटे सौना सहकारनी जरूर छे. ४०१/– रूा. आपीने आप
आत्मधर्मनी ३१०० प्रतमां एक फरमो (आठ पानां) (कुल लगभग पच्चीस
हजार पानां) आपना तरफथी वधु आपी शको छो. (अडधा खर्च तरीके रूा.
कहे छे के अत्यारे तो तत्त्वज्ञाननो प्रचार थाय ने लोकोने साहित्य ओछामां ओछी
किंमते मळे–ते करवा जेवुं छे.)