Atmadharma magazine - Ank 381
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 9 of 53

background image
: ६ : आत्मधर्म : अषाढ : २५०१
* काळअपेक्षाए सौथी मोटुं द्रव्य कोण?
काळअपेक्षाए बधाय द्रव्यो अनादिअनंत त्रिकाळवर्ती होवाथी सरखां छे, कोई
पहेलांं–पछी नथी एटले नानुं–मोटुं नथी.
* भावअपेक्षाए सौथी महान कोण?
आम तो बधाय द्रव्य पोतपोताना अनंतगुणरूप स्वभाववाळां छे; पण तेमां
आत्माना केवळज्ञानस्वभावनुं सामर्थ्य कोई अचिंत्य विशिष्ट छे, तेथी
भावअपेक्षाए केवळज्ञानस्वरूपी आत्मा सर्वोत्कृष्ट तत्त्व छे.
* आवा सर्वोत्कृष्ट आत्मतत्त्वनो निर्णय करतां शुं थाय छे?
ज्ञान निर्विकल्प थईने अतीन्द्रिय आनंदरूप परिणमे छे.
* विकल्प वडे आत्मानुं स्वरूप समजाय?
ना; केमके विकल्प आत्मानुं स्वरूप नथी. विकल्प बर्हिमुख छे, ज्ञान अंतर्मुख छे.
* विकल्प वडे परनुं स्वरूप समजाय?
ना; स्व–पर बंनेनुं स्वरूप सम्यग्ज्ञानथी ज समजाय छे. जेणे आत्माने
सम्यग्ज्ञानवडे नथी जाण्यो तेने परनुं पण साचुं ज्ञान होतुं नथी. स्व–परनुं
साचुं ज्ञान तेने ज होय छे के जेणे राग अने ज्ञाननुं भेदज्ञान कर्युं होय. ज्यां
राग अने ज्ञाननी भेळसेळ होय त्यां शुद्धज्ञान एटले के साचुं ज्ञान होय नहि,
ने साचा ज्ञान वगर स्वपरने कोण जाणे?
* अनेकान्तरूपी ज्ञेयपदार्थोनुं स्वरूप एवुं गंभीर छे के जेने स्वसन्मुख
अतीन्द्रियज्ञानपूर्वक ज जाणी शकाय छे. ते ज्ञान महान आनंदने भोगवतुं थकुं
जयवंत वर्ते छे. आवुं आनंदमय ज्ञान भगवान वीरनाथना शासनमां ज
पमाय छे, तेथी सत्पुरुषो भगवानना उपकारने भूलता नथी.
* तलवारना प्रहार पण अहिंसक जीवने डगावी नथी शकता;
तलवारनी ताकात करतां अहिंसानी ताकात घणी महान छे.
जीवोने शांति अहिंसामांथी मळशे, तलवार वडे नहि.
* आत्मानी शांति ते ज साची क्रांति छे. जेमां शांति न मळे ए
क्रांति नथी, ए तो भ्रांति छे.