: २४ : आत्मधर्म : श्रावण : २५०१
ENGLISH JAIN PRIMER ०–५० दर्शनकथा ०–५०
आत्मधर्म–वार्षिक चन्दा ६–०० जिनेन्द्रपूजा पल्लव ०–५०
समाधितंत्र (छोटा) ०–५५ प्रवचनसार–हरिगीत ०–३५
समवसरण स्तुति ०–२५
शूरवीर–साधक ०–२५
समाधिशतक दोहरा ०–१५
समाधिशतक (गूटको) ०–४५
भगवान महावीर ०–१५
आलोचना (पद्मनंदी) ०–२०
लघुजैनसिद्धांतप्रवेशिका ०–३०
अखंडआराधना (मृत्युमहोत्सव) ०–५०
सर्वसामान्य–प्रतिक्रमण ०–६०
अलिंगग्रहणप्रवचन ०–७५
आत्मधर्म (कायमी सभ्य) १०१–००
सम्यक्त्व–कथा (सचित्र) १–००
बे सखी (अंजना चरित्र) ०–५०
अहिंसा परमो धर्म: ०–५०
ैैजैन बाळपोथी (इंग्लीशमां) ०–५०
इसके अतिरिक्त जयपुर–
टोडरमलस्मारकभवन से प्रकाशित
साहित्य भी मिल सकता है।
पुस्तक भेजनेका खर्च अलग समझना
चाहिए।
पुस्तकें उधार नहीं भेजी जाती।
कमीशन नहीं दिया जाता। सूचना आने
पर पुस्तकें V. P. P. से भेजी जाती है।
पुस्तक मंगाते समय उसके मूल्यका
ड्राफट अथवा M. O. भेजना चाहिए।
ड्राफट आदिमें “दि ़जैन स्वाध्याय मंदिर
ट्रस्ट” नाम लिखना चाहिए।
– पत्र व्यवहारका पता –
श्री दि ़ जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ (सौराष्ट्र) 364250
साधकशतकमाला ०–५०
– जो प्रेसमें छप रहे हैं –
प्रवचनसार (पौने मूल्यमें दी जायगी)
पंचास्तिकाय (” ” ” )
आ उपरांत जयपुरनुं साहित्य पण मळे
छे. फोटा रूबरू मळे छे, पण पोस्टथी मोकलाता
नथी. पुस्तक मंगावनारे तेनी किंमत बेंकना ड्राफट
के मनीओर्डरथी मोकली देवी : अथवा V.P.P.
करवानी सूचना लखवी. ड्राफ वगेरे “दि. जैन
स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट” ए नामथी मोकलवा.
सरनामुं
श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ (सौराष्ट्र) 364250 प्रेसमां छपाय छे.––
प्रवचनसार तथा पंचास्तिकाय समयसार
तथा मोक्षमार्गप्रकाशक
जिनेन्द्रपूजा–संग्रह, पंचपरमेष्ठीविधान
अष्टप्राभृत (हरिगीत पूरूं)