Atmadharma magazine - Ank 382
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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फोन नं. : ३४ “आत्मधर्म” Rgd. No. G. B. V. 10
सिद्धो थया जे जीव ते सौ भेदज्ञान–प्रभावथी;
बंध्या अरे, जे जीव ते सौ भेदज्ञान–अभावथी.
हे जिनेन्द्रदेव! हे वीरनाथ! भेदज्ञानरूपी उत्तम नौकामां बेसीने
आप मुक्तिपुरीमां पधार्या...आपना शासनमां हुं पण ते भेदज्ञान–
नौकामां बेसीने आपनी पासे मुक्तिपुरीमां आवी रह्यो छुं.
प्रकाशक: श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट. सोनगढ (सौराष्ट्र) श्रावण
मुद्रक: मगनलाल जैन, अजित मुद्रणालय, सोनगढ (सौराष्ट्र) प्रत ३१००