Atmadharma magazine - Ank 383
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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[३८३]
* आ रा ध ना – भा व ना *
सम्यक्त्व दर्शन ज्ञान चारित्र सदा चाहूं भावसों,
दसलक्षणी मैं धर्म चाहूं महा हर्ष उछावसों,
मैं साधु जनको संग चाहूं, प्रीति मनवचकायजी,
आराधना उत्तम सदा चाहूं सूनो जिनरायजी.
तंत्री: पुरुषोत्तमदास शिवलाल कामदार * संपादक: ब्र. हरिलाल जैन
वीर सं. २५०१ भादरवो (लवाजम: छ रूपिया) वर्ष ३२: अंक ११