Atmadharma magazine - Ank 384
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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‘जेणे आप्युं भान निज....
तेने सदा प्रणाम’
जेमनी मंगलकारी छायामां, ने जेमना प्रतापे, वीरनाथप्रभु प्रत्येनी
अंजलिरूपे आत्मधर्मनो आ अभूतपूर्व–अंक सुंदरस्वरूपे
प्रगट थाय छे ते गुरुदेवनो परम उपकार छे. आ अंक
द्वारा वीरमार्गने ओळखीने जिनशासनना वशे
सर्वजीवो परमआनंदरूपे परिणमो.