Atmadharma magazine - Ank 384
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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निजवैभवथी शुद्धात्मा देखाडनारा संत!
अहो कुंदकुंदप्रभु! श्वासेश्वासे आपना उपकारना रणकार ऊठे छे.
समयसारमां पदेपदे अमने तो आपनो ज साक्षात्कार थाय छे, ने आपनी
स्वानुभूतिनो आनंदमय निजवैभव देखाय छे. धन्य जीवन....के आपनो मार्ग
मळ्‌यो! नमोस्तु! नमोस्तु! नमोस्तु!