वीतरागी ध्वज आजे पण विश्वमां लहेराई रह्यो
छे ने आपणने सौने रत्नत्रयरूप मोक्षमार्गनो
मधुर सन्देश आपी रह्यो छे. आवो, वीरप्रभुना
वीतरागी झंडा नीचे आपणे सौ एकत्र थईए, ने
धर्मसाधनामां हाथमां मिलावीने वीरपंथे जईए.
Atmadharma magazine - Ank 384
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).
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