Alochana-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्री पद्मनंदि आचार्य विरचिता
पद्मनंदिपंचविंशतिकामांथी
आलोचना अधिाकारनो
हिन्दी परथी गुजराती अनुवाद
श्री पद्मनंदि आचार्यदेव आदिमंगळथी
आलोचना अधिाकारनी शरुआत करे छे :
१. अर्थ :हे जिनेश ! हे प्रभो ! जो सज्जनोनुं
मन, आंतर तथा बाह्य मळरहित थईने तत्त्वस्वरूप तथा
वास्तविक आनंदना निधान एवा आपनो आश्रय करे, जो
तेमना चित्तमां आपना नामना स्मरणरूप अनंत प्रभावशाळी
महामंत्र मोजूद होय अने आप द्वारा प्रगट थयेल सम्यग्दर्शन,
सम्यग्ज्ञान अने सम्यक्चारित्ररूप मोक्षमार्गमां जो तेमनुं
आचरण होय तो ते सज्जनोने इच्छित विषयनी प्राप्तिमां
विघ्न शेनुं होय ? अर्थात् न होय.
भावार्थ :जो सज्जनोना मनमां आपनुं ध्यान होय
तथा आपना नाम-स्मरणरूप महामंत्र मोजूद होय अने तेओ
मोक्षमार्गमां गमन करवावाळा होय तो तेमने अभीष्टनी
प्राप्तिमां कोई प्रकारनुं विघ्न आवी शकतुं नथी.