खेडे वि ण कायव्वं पाणिप्पत्तं
अर्थः––जिसके सूत्र का अर्थ और पद विनष्ट है वह प्रगट मिथ्यादृष्टि है, इसलिये जो
सचेल है, वस्त्र सहित है उसको ‘खेडे वि’ अर्थात् हास्य कुतूहल में भी पाणिपात्र अर्थात्
हस्तरूप पात्र से आहार नहीं करना।
हुआ प्रगट मिथ्यादृष्टि है, इसलिये वस्त्र सहित को हास्य–कुतूहलसे पाणिपात्र अर्थात् हस्तरूप
पात्र से आहारदान नहीं करना तथा इसप्रकार भी अर्थ होता है कि ऐसे मिथ्यादृष्टि को
पाणिपात्र आहारदान लेना योग्य नहीं है, ऐसा भेष हास्य–कुतूहलसे भी धारण करना योग्य
नहीं है, वस्त्र सहित रहना और पाणिपात्र भोजन करना, इसप्रकार से तो क्रीड़ा मात्र भी नहीं
करना ।।७।।
सूत्रार्थपदथी भ्रष्ट छे ते जीव मिथ्यादृष्टि छे;