प्रकार स्पष्टरूपसे समझाया है । मार्गकी खूब छानबीन
की है । द्रव्यकी स्वतंत्रता, द्रव्य-गुण-पर्याय, उपादान-
निमित्त, निश्चय-व्यवहार, आत्माका शुद्ध स्वरूप,
सम्यग्दर्शन, स्वानुभूति, मोक्षमार्ग इत्यादि सब कुछ
उनके परम प्रतापसे इस काल सत्यरूपसे बाहर आया
है । गुरुदेवकी श्रुतकी धारा कोई और ही है ।
उन्होंने हमें तरनेका मार्ग बतलाया है । प्रवचनमें
कितना मथ-मथकर निकालते हैं ! उनके प्रतापसे सारे
भारतमें बहुत जीव मोक्षमार्गको समझनेका प्रयत्न कर
रहे हैं । पंचम कालमें ऐसा सुयोग प्राप्त हुआ वह
अपना परम सद्भाग्य है । जीवनमें सब उपकार
गुरुदेवका ही है । गुरुदेव गुणोंसे भरपूर हैं,
महिमावन्त हैं । उनके चरणकमलकी सेवा हृदयमें
बसी रहे ।