Benshreeke Vachanamrut (Hindi). Bol.

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[ ८ ]
तीर्थंकरभगवन्तों द्वारा प्रकाशित दिगम्बर जैन
धर्म ही सत्य है ऐसा गुरुदेवने युक्ति -न्यायसे सर्व
प्रकार स्पष्टरूपसे समझाया है । मार्गकी खूब छानबीन

की है । द्रव्यकी स्वतंत्रता, द्रव्य-गुण-पर्याय, उपादान-

निमित्त, निश्चय-व्यवहार, आत्माका शुद्ध स्वरूप,

सम्यग्दर्शन, स्वानुभूति, मोक्षमार्ग इत्यादि सब कुछ

उनके परम प्रतापसे इस काल सत्यरूपसे बाहर आया

है । गुरुदेवकी श्रुतकी धारा कोई और ही है ।

उन्होंने हमें तरनेका मार्ग बतलाया है । प्रवचनमें

कितना मथ-मथकर निकालते हैं ! उनके प्रतापसे सारे

भारतमें बहुत जीव मोक्षमार्गको समझनेका प्रयत्न कर

रहे हैं । पंचम कालमें ऐसा सुयोग प्राप्त हुआ वह

अपना परम सद्भाग्य है । जीवनमें सब उपकार

गुरुदेवका ही है । गुरुदेव गुणोंसे भरपूर हैं,

महिमावन्त हैं । उनके चरणकमलकी सेवा हृदयमें

बसी रहे ।
बहिनश्री चंपाबेन