प्रति) पुनः प्रकाशित करते हुए प्रसन्नता अनुभूत होती है ।
इस प्रस्तुत पंचम संस्करणक मुद्रणकार्य ‘कहान-मुद्रणालय’ के
मालिक श्री ज्ञानचन्दजी जैनने सुन्दरतया कर दिया है । अतः वे
धन्यवादके पात्र है ।
इस पुस्तकका लागत मूल्य करीब ४४ रुपये होता है, परन्तु अनेक
मुमुक्षुओं द्वारा उत्साहपूर्वक दानकी धारा प्रवाहित की गई होनेसे इसका
मूल्य कम करके २२ रुपया रखा गया है ।
अंतमें, हमें आशा है कि अध्यात्मरसिक जीव पूज्य बहिनश्रीकी
स्वानुभवरसधारामेंसे प्रवाहित इस आत्मस्पर्शी वचनामृत द्वारा आत्मार्थकी
प्रबल प्रेरणा पाकर अपने साधनापथको सुधास्यंदी बनायेंगे ।
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श्री दि. जैन स्वाध्यायमन्दिर ट्रस्ट,
सोनगढ़ (सौराष्ट्र)
फाल्गुन वदी दसमी
१५-८-२०००