[ ૧૮૬ ]
शशि-शीतल मुद्रा अति मंगल, निर्मल नैन सुमंगल हैं,
आसन-गमनादिक कुछ भी हो, शांत सुधीर सुमंगल है;
प्रवचन मंगल, भक्ति सुमंगल, ध्यानदशा अति मंगल है,
....मंगलकारी०
आसन-गमनादिक कुछ भी हो, शांत सुधीर सुमंगल है;
प्रवचन मंगल, भक्ति सुमंगल, ध्यानदशा अति मंगल है,
....मंगलकारी०
दिनदिन वृद्धिमती निज परिणति वचनातीत सुमंगल है,
मंगलमूरति-मंगलपदमें मंगल-अर्थ सुवंदन है;
आशिष मंगल याचत बालक, मंगल अनुग्रहदृष्टि रहे,
तव गुणको आदर्श बनाकर हम सब मंगलमाल लहें.
....मंगलकारी०
मंगलमूरति-मंगलपदमें मंगल-अर्थ सुवंदन है;
आशिष मंगल याचत बालक, मंगल अनुग्रहदृष्टि रहे,
तव गुणको आदर्श बनाकर हम सब मंगलमाल लहें.
....मंगलकारी०
✽