Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 272-274.

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बहेनश्रीनां वचनामृत

पण ज्यारे कर त्यारे तारे ज करवानुं छे. २७१.

जे खूब थाकेलो छे, द्रव्य सिवाय जेने कांई जोईतुं ज नथी, जेने आशा-पिपासा छूटी गई छे, द्रव्यमां जे होय ते ज जेने जोईए छे, ते साचो जिज्ञासु छे.

द्रव्य के जे शान्तिवाळुं छे ते ज मारे जोईए छे एवी निस्पृहता आवे तो द्रव्यमां ऊंडे जाय अने बधी पर्याय प्रगटे. २७२.

गुरुना हितकारी उपदेशना तीक्ष्ण प्रहारोथी साचा मुमुक्षुनो आत्मा जागी ऊठे छे अने ज्ञायकनी रुचि प्रगटे छे, वारंवार चेतन तरफज्ञायक तरफ वलण थाय छे. जेम भक्तने भगवान मांडमांड मळ्या होय तो तेने मूकवा न गमे, तेम ‘हे चेतन’, ‘हे ज्ञायक एम वारंवार अंदर थया करे, ते तरफ ज रुचि रह्या करे; ‘हुं तो हालुं-चालुं ने प्रभु सांभरे रे’ एवुं वर्त्या करे. २७३.

अनंत काळमां चैतन्यनो महिमा न आव्यो,