Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 287-290.

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बहेनश्रीनां वचनामृत
९७

द्रव्य सदा निर्लेप छे. पर्यायमां बधाथी निर्लेप रहेवा जेवुं छे. क्यांय खेदावुं नहि, खेंचावुं नहिक्यांय झाझो राग करवो नहि. २८७.

वस्तु सूक्ष्म छे, उपयोग स्थूल थई गयो छे. सूक्ष्म वस्तुने पकडवा माटे सूक्ष्म उपयोगनो प्रयत्न कर. २८८.

चैतन्यनी ऊंडी भावना तो अन्य भवमां पण चैतन्यनी साथे ज आवे छे. आत्मा तो शाश्वत पदार्थ छे ने? उपलक विचारोमां नहि पण अंदरमां घोलन करीने तत्त्वविचारपूर्वक ऊंडा संस्कार नाख्या हशे ते साथे आवशे.

‘‘तत्प्रति प्रीतिचित्तेन येन वार्तापि हि श्रुता
निश्चितं स भवेद्भव्यो भाविनिर्वाणभाजनम् ।।’’

जे जीवे प्रसन्न चित्तथी आ चैतन्यस्वरूप आत्मानी वात पण सांभळी छे, ते भव्य पुरुष भविष्यमां थनारी मुक्तिनुं अवश्य भाजन थाय छे. २८९.

आत्मा ज्ञानप्रधान अनंत गुणनो पिंड छे. तेनी साथे अंदरमां तन्मयता करवी ते ज करवानुं छे. वस्तुस्वरूप