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ॐ
परमात्मने नमः।
बहेनश्रीनां वचनामृत
[पूज्य बहेनश्री चंपाबेननां प्रवचनोमांथी वीणेलां]
हे जीव! तने क्यांय न गमतुं होय तो तारो उपयोग पलटावी नाख अने आत्मामां गमाड. आत्मामां गमे तेवुं छे. आत्मामां आनंद भर्यो छे; त्यां जरूर गमशे. जगतमां क्यांय गमे तेवुं नथी पण एक आत्मामां जरूर गमे तेवुं छे. माटे तुं आत्मामां गमाड. १.
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अंतरना ऊंडाणथी पोतानुं हित साधवा जे आत्मा जाग्यो अने जेने आत्मानी खरेखरी लगनी लागी, तेनी आत्मलगनी ज तेनो मार्ग करी देशे. आत्मानी खरेखरी लगनी लागे ने अंदरमां मार्ग न थाय एम बने ज नहि. आत्मानी लगनी लागवी जोईए; तेनी पाछळ लागवुं जोईए. आत्माने ध्येयरूप राखीने दिन-रात सतत