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प्रयत्न करवो जोईए. ‘मारुं हित केम थाय?’, ‘हुं आत्माने कई रीते जाणुं?’ — एम लगनी वधारीने प्रयत्न करे तो जरूर मार्ग हाथ आवे. २.
ज्ञानीनी परिणति सहज होय छे. प्रसंगे प्रसंगे भेदज्ञानने याद करीने तेमने गोखवुं नथी पडतुं, पण तेमने तो एवुं सहज परिणमन ज थई गयुं होय छे — आत्मामां एकधारुं परिणमन वर्त्या ज करे छे. ३.
ज्ञान अने वैराग्य एकबीजाने प्रोत्साहन आपनारां छे. ज्ञान वगरनो वैराग्य ते खरेखर वैराग्य नथी पण रुंधायेलो कषाय छे. परंतु ज्ञान नहि होवाथी जीव कषायने ओळखी शकतो नथी. ज्ञान पोते मार्गने ओळखे छे, अने वैराग्य छे ते ज्ञानने क्यांय फसावा देतो नथी पण बधाथी निस्पृह अने स्वनी मोजमां टकावी राखे छे. ज्ञान सहितनुं जीवन नियमथी वैराग्यमय ज होय छे. ४.
अहो! आ अशरण संसारमां जन्मनी साथे मरण जोडायेलुं ज छे. आत्मानी सिद्धि न सधाय त्यां सुधी जन्म-मरणनुं चक्र चाल्या ज करवानुं. आवा अशरण