Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 99-102.

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बहेनश्रीनां वचनामृत

आ तो पंखीना मेळा जेवुं छे. भेगां थयेलां बधां छूटां पडी जशे. आत्मा एक शाश्वत छे, बीजुं बधुं अध्रुव छे; विंखाई जशे. मनुष्यजीवनमां आत्मानुं कल्याण करी लेवा जेवुं छे. ९९.

हुं अनादि-अनंत मुक्त छुं’ एम शुद्ध आत्मद्रव्य पर द्रष्टि देतां शुद्ध पर्याय प्रगट थाय छे. ‘द्रव्य तो मुक्त छे, मुक्तिनी पर्यायने आववुं होय तो आवे’ एम द्रव्य प्रत्ये आलंबन अने पर्याय प्रत्ये उपेक्षावृत्ति थतां स्वाभाविक शुद्ध पर्याय प्रगटे ज छे. १००.

सम्यग्द्रष्टिने एवो निःशंक गुण होय छे के चौद ब्रह्मांड फरी जाय तोय अनुभवमां शंका थती नथी. १०१.

आत्मा सर्वोत्कृष्ट छे, आश्चर्यकारी छे. जगतमां तेनाथी ऊंची वस्तु नथी. एने कोई लई जई शकतुं नथी. जे छूटी जाय छे ते तो तुच्छ वस्तु छे; तेने छोडतां तने डर केम लागे? १०२.