Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 108-111.

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बहेनश्रीनां वचनामृत

भेदथी शुद्ध पर्याय प्रगटती नथी. एकने ग्रहण कर्युं तेमां बधुं आवी जाय छे. द्रष्टि साथे रहेलुं सम्यग्ज्ञान विवेक करे छे. १०७.

जगतमां एवी कोई वस्तु नथी के जे चैतन्यथी वधी जाय. तुं आ चैतन्यमांआत्मामां ठर, निवास कर. आत्मा दिव्य ज्ञानथी, अनंत गुणोथी समृद्ध छे. अहो! चैतन्यनी अगाध ॠद्धि छे. १०८.

आत्मारूपी परमपवित्र तीर्थ छे तेमां स्नान कर. आत्मा पवित्रताथी भरेलो छे, तेनी अंदर उपयोग मूक. आत्माना गुणोमां तरबोळ थई जा. आत्मतीर्थमां एवुं स्नान कर के पर्याय शुद्ध थई जाय, मलिनता टळी जाय. १०९.

परम पुरुष तारी निकट होवा छतां तें जोया नथी. द्रष्टि बहार ने बहार ज छे. ११०.

परमात्मा सर्वोत्कृष्ट कहेवाय छे. तुं पोते ज परमात्मा छो. १११.