नमः श्री सद्गुरवे ।
अहो! देव-शास्त्र-गुरु मंगळ छे, उपकारी छे.
आपणने तो देव-शास्त्र-गुरुनुं दासत्व जोईए छे.
पूज्य कहानगुरुदेवथी तो मुक्तिनो मार्ग मळ्यो
छे. तेओश्रीए चारे बाजुथी मुक्तिनो मार्ग प्रकाश्यो
छे. गुरुदेवनो अपार उपकार छे. ते उपकार केम
भुलाय?
छे. गुरुदेवनो अपार उपकार छे. ते उपकार केम
भुलाय?
गुरुदेवनुं द्रव्य तो अलौकिक छे. तेमनुं श्रुतज्ञान
अने वाणी आश्चर्यकारी छे.
परम-उपकारी गुरुदेवनुं द्रव्य मंगळ छे, तेमनी
अमृतमय वाणी मंगळ छे. तेओश्री मंगळमूर्ति छे,
भवोदधितारणहार छे, महिमावंत गुणोथी भरेला छे.
भवोदधितारणहार छे, महिमावंत गुणोथी भरेला छे.
पूज्य गुरुदेवनां चरणकमळनी भक्ति अने तेमनुं
दासत्व निरंतर हो.