Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 171.

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अमृत वाणी (भाग-४)

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ट्रेक-१७१ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- सत स्वयंको त्रिकाल ज्ञात करवा रहा है, क्षणिक नहीं ज्ञात करवाता। तो वह कैसे कहना है?

समाधानः- सत सत है। जो त्रिकाली सत हो, सत उसको कहें कि जो सत स्वयं अस्तित्वरूप टिकनेवाला है। क्षणिक हो वह तो उसकी एक पर्याय है। क्षणिक हो वह... वास्तविक रूपसे सत किसे कहते हैं? जो स्वतःसिद्धरूपसे है, जो अस्तित्व रखता है, अनादिअनन्त जो अस्तित्व रखता है उसीको सत कहते हैं। सत स्वयंको त्रिकाल ज्ञात करवा रहा है। सत जो है वह स्वयं स्वतःसिद्ध अनादिअनन्त है। जो क्षणिक हो, वह तो उसकी पर्याय हो। जो क्षणिक हो वह अनादिअनन्त सत उसे नहीं कह सकते।

वास्तविक सत उसे कहें कि जो त्रिकाल हो वही वास्तविक सत है। अनादिअनन्त जो त्रिकाल टिकनेवाला है, वह सत है। अनादिअनन्त जो सत है, वह सत स्वयंको त्रिकाल बतला रहा है। सतको किसीने बनाया नहीं है। सत स्वयं अस्तित्वरूप है, त्रिकाल है। पर्यायको सत कहते हैं। वह तो उसकी पर्याय है, क्षण-क्षणमें पलनेवाली।

यहाँ सतकी, त्रिकाल सतकी बात की है। जो सत अनादिअनन्त त्रिकाल हो, वह सत स्वयंको सतरूपसे त्रिकाल बतला रहा है। सत है, ऐसे। सत कहीं बाहरसे नहीं आता, उसे कोई बनाता नहीं है। सत है वह स्वयंसिद्ध सत है। जो स्वयंसिद्ध सत हो वह त्रिकाल ही होता है। वह किसीसे नाश होता नहीं, किसीसे उत्पन्न होता नहीं। ऐसा सत वह त्रिकाल सत है। और सत है वह सत ज्ञायकरूप सत है। उसका जिसे भरोसा आये तो...

मुमुक्षुः- उसे स्वयंके वेदन परसे ही ख्यालमें आता है न कि ये जो वेदन है, जो जानना होता है, वह जानना टिका हुआ है और वह टिका हुआ है वह एक शाश्वत वस्तुकी परिस्थिति है। ऐसे उस परसे..

समाधानः- सतको नक्की करना है कि यही सत है। यह ज्ञान है वह स्वयं त्रिकाल सत है और त्रिकाल सतका यह ज्ञानस्वभाव है। उसमेंसे यह परिणति आती है। त्रिकाल सतमेंसे परिणमित हुयी यह ज्ञानकी परिणति है। स्वयं नक्की करता है। अपना