Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 194.

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 1253 of 1906

 

अमृत वाणी (भाग-५)

२०

ट्रेक-१९४ (audio) (View topics)

समाधानः- ... इसलिये पीछेसे कितने ही...

मुमुक्षुः- कितने दिन तक वह चलता रहता है।

समाधानः- फिर थकान लगती है। चार-छः दिन तक हड्डियाँ दुःखने लगती है। ऐसा हो जाता है।

गुरुदेवके संस्कार और गुरुदेवकी बात पूरी अलग है। वह तो अन्दरसे भक्ति आये बिना रहे नहीं।

मुमुक्षुः- ऐसी अपूर्व बात दी। उनके लिये क्या करे और क्या न करे,..

समाधानः- हाँ, सच्ची बात है। वह बात सच्ची है। कहाँ पडे थे, उसमेंसे कहाँ... कैसा अंतरका स्वरूप गुरुदेवने बताया! कहाँ क्रियामें धर्म मानते थे, उसमेंसे कहाँसे कहाँ (ले आये)। शुभभाव पुण्यबन्धका कारण, परन्तु अंतरमें तू चैतन्य अखण्ड तत्त्वको ग्रहण कर। कितनी गहरी बात बतायी है! गुणभेद, पर्यायभेद सबका ज्ञान कर, परन्तु अंतरमें दृष्टि तो अखण्ड पर (कर)। कितनी गहरी बात बतायी! दूसरे लोग तो कहाँ दृष्टिमें पडे हैं। गुरुदेवने तो कोई अपूर्व आत्माकी स्वानुभूति अंतरमें हो, कैसा मार्ग बताया है।

मुमुक्षुः- दूसरी जगह एक अंश भी दिखे नहीं।

समाधानः- कहीं नहीं मिलता। कहीं नहीं है।

मुमुक्षुः- सोनगढमें और आप विराजते हो तो हमें गुरुदेव जो कह गये हैं, वह लाभ आपसे सीधा प्राप्त होता है।

समाधानः- .. सब किया है। आत्माको कोई जानता नहीं था।

मुमुक्षुः- माताजी कहते हैं। स्वीकार करना वह अपनी लायकात चाहिये।

समाधानः- (इस पंचमकालमें) गुरुदेव पधारे वह महाभाग्यकी बात है। ... स्वभाव बताया। ... ज्ञायक है। वाणीसे जीवको अंतरमें ... ऐसा सम्बन्ध है कि देवकी, गुरुकी वाणी जीवको देशनालब्धिरूप परिणमती है तब उसे ज्ञायककी पर्याय प्रगट होती है। ज्ञायककी पर्याय प्रगट होती है, उसमें गुरुकी वाणी निमित्त बनती है। गुरुकी वाणी और जिनेन्द्र देवकी वाणी जगतमें शाश्वत (है)। जैसे आत्मा शाश्वत