Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 140 of 1906

 

अमृत वाणी (भाग-२)

१४० है, ऐसा बनने वाला ही है।

मुमुक्षुः- स्वयं तो रहने वाला ही है।

समाधानः- स्वयं तो नित्य है। स्वयंको स्वयंका स्वरूप साध लेना, स्वयंके स्वरूपको सँभालकर स्वयंको आत्म स्वरूपकी प्राप्ति कर लेनी, यही करना है। वृद्धावस्था कोई नयी नहीं है, सबको दिखता ही है। ऐसा तो संसारमें बनता ही आया है। उसका भय रखना तो व्यर्थ है। वैराग्यको प्राप्त होकर स्वयंको स्वयंका कर लेना।

मुमुक्षुः- आत्माको अच्छा लगना, नहीं लगना..

समाधानः- अच्छा नहीं लगे तो भी वह तो स्वरूप ही है, वह तो बनेगा ही, अच्छा लगे या नहीं। उसमें किसीका उपाय नहीं चलता। चाहे जितने डाक्टर बुलाये, दवाई करे तो भी वृद्धावस्था आनेवाली है, मृत्यु होगा, चाहे जैसे डाक्टर बुलाये। बडे- बडे राजा और चक्रवर्ती चले जाते हैं। सागरोपमका देवोंका आयुष्य भी पूरा हो जाता है। वह तो आनेवाला ही है, अच्छा लगे या नहीं, वह तो होगा ही। सबका पूरा होता है। इसलिये स्वयंको पहचान लेना, उसका-शरीरका राग छोड देना। यह संसार ऐसा ही है। इसलिये वैराग्यको प्राप्त होकर आत्माका कर लेने जैसा है।

आत्मा शाश्वत है, इस जन्म-मरणसे कैसे छूटा जाये? अन्दर जो आकूलता होती है, उससे कैसे छूटे? विकल्प स्वयंका स्वभाव नहीं है, तो फिर शरीर कहाँ अपना है? अच्छा लगे या नहीं, अच्छा नहीं लगे तो भी बनने वाला है। वह तो बनेगा ही। देवोंका सागरोपमका आयुष्य भी पूर्ण हो जाता है। तो मनुष्य तो क्या हिसाबमें है? चक्रवर्तीका चतुर्थ कालमें कितना लम्बा आयुष्य था, तो वह भी पूरा हो जाता है।

मुमुक्षुः- अभी ज्यादा दुःख लगता है, हुण्डावसर्पिणी काल है इसलिये ज्यादा दुःख लगता है?

समाधानः- कालके कारण दुःख नहीं लगता, स्वयंकी क्षतिके कारण दुःख लगता है।

मुमुक्षुः- हुण्डावर्सपिणीका मतलब क्या?

समाधानः- अभी ऐसे जीव जन्म लेते हैं, वैसे ही जीव (आते हैं)। चतुर्थ कालके बहुत सीधे एवं सरल जीव थे। अभी सब परिणाम ऐसे हो गये हैं। काल क्या करता है? अपनी योग्यता ऐसी है। चतुर्थ कालमें पुण्योदय ज्यादा था, पापके कम थे। अभी पापका उदय ज्यादा हो गया और सब बढ गया है, उसका कारण जीव ही ऐसे (हैं), ऐसा कर्म लेकर स्वयं ही आता है, उसमें काल क्या करे?

मुमुक्षुः- असंख्यात काल चक्रवात होनेके बाद ऐसा हुण्डावसर्पिणी काल आता है। असंख्यात कालचक्रके बाद। ऐसा विषम काल आया, हुण्डावसर्पिणी जैसा।

समाधानः- काल आया, ऐसे कालमें जन्म कौन लेता है? कि जिसने ऐसे भाव