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किये हों, वह जन्मता है। उसमें काल क्या करे? ऐसे भाव वाले जीव होते हैं कि ऐसे कालमें जन्मते हैं। परन्तु गुरुदेवके प्रतापसे बीचमें काल अच्छा आ गया कि गुरुदेवका जन्म हुआ, सबको मार्ग प्राप्त हुआ। बाहरके पुण्य-पापके संयोग एक ओर रह गये, बाकी गुरुदेवका जन्म हुआ वह धर्मका काल बीचमें आ गया। बीचमें चतुर्थ काल आ गया।
मुमुक्षुः- और अभी भी वर्तता ही है।
समाधानः- गुरुदेवका प्रताप अभी भी वर्तता ही है।
मुमुक्षुः- अभी तो आपका प्रताप है। सोनगढमें चतुर्थ काल वर्तता है।
मुमुक्षुः- चीमनभाई कहते हैं, यहाँ तो सब भूल जाता हूँ। ... हाथ घुमाता रहता हूँ, धडकन गिनता रहता हूँ, यहाँ तो सीने पर हाथ रखता हूँ तो भगवानकी गुँज उठती है। पहले हृदयकी धडकन सुनाई देती थी, अब आत्माकी सुनाई देती है।
समाधानः- ... चारों ओर भगवानके मन्दिर हैं। चारों ओर गुरुदेवकी टेप चलती है। आत्माकी बातें हो रही है। धर्मकाल बीचमें आ गया। ऐसा मार्ग गुरुदेवने प्रकाशित किया। चारों ओर उनकी वाणी ऐसी जोरदार थी, आत्माको दर्शाये ऐसी वाणी थी। पुण्यका काल, बीचमें धर्मकाल आ गया। पंचमकालमें ऐसा-ऐसा कोई-कोई काल आ जाता है, हुण्डावसर्पिणी होनेके बावजूद भी।
मुमुक्षुः- .. असंख्यात कालचक्र होनेके बाद ऐसा हुण्ड काल आता है। असंख्यात कालचक्रमें ऐसा..
समाधानः- ऐसा योग मिला और उसमें गुरुदेव मिले। ऐसा योग भी अनन्त कालके बाद मिलता है, गुरुदेव मिले ऐसा। इस पंचमकालमें गुरुदेव कहाँ-से मिले? ऐसी वाणी, ऐसा मार्ग दर्शानेवाले कहाँ-से प्राप्त हो? और मुनिओं पहले बहुत हो गये हैं, उन्होंने कितनी वाणी बरसाई! शास्त्रोंमें अभी चली आ रही है। गुरुदेवने सब मुमुक्षुओंके बीच रहकर इतने साल वाणी बरसाई। ऐसा तो कभी-कभी बनता है। कोई जंगलमें चले जाये। ये तो मुमुक्षुओंके बीच रहकर इतने साल वाणी बरसायी, ये तो महाभाग्यकी बात है।
मुमुक्षुः- आज सुबह विचार आया, स्वाध्याय मन्दिरको ५० वर्ष होंगे। स्वर्ण महोत्सव मनाना है। कोई भी मन्दिरसे स्वाध्याय श्रेष्ठ मन्दिर स्वाध्याय मन्दिर है, जहाँ केवलज्ञानका ही घूटन हुआ है और समयसारकी स्थापना हुई है। ५० वर्ष पूर्ण होंगे।
समाधानः- गुरुदेवने बरसों तक स्वाध्याय मन्दिरमें वाणी बरसायी। बरसों तक यहाँ बिराजे।
मुमुक्षुः- पोपटभाई ...ने स्वाध्याय मन्दिर नाम रखा था।