Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 1413 of 1906

 

अमृत वाणी (भाग-५)

१८० वह सब जीवनमें एक ही करना है। चैतन्यका ध्येय रखकर देव-गुरु-शास्त्रकी महिमा और एक ज्ञायक चैतन्य कैसे पहचानमें आये? उसका स्वानुभव कैसे हो? वह भावना रखने जैसी है।

समाधानः- ... उसमें चला जाता है, परन्तु बारंबार-बारंबार मैं तो भिन्न चैतन्य ज्ञायक हूँ, यह मेरा स्वभाव नहीं है। एकत्वबुद्धि तोडना। बारंबार उसका अभ्यास करना। जैसे बारंबार बाहरमें जाता है, वैसे बारंबार अंतरमें अंतरदृष्टि करना। बारंबार प्रयत्न करना। छूट जाय तो भी बारंबार प्रयत्न करना चाहिये। उसका रटन दृढ करना चाहिये। बारंबार।

समाधानः- .. बाहरसे सब छोड दिया। आचरणमें-से छोड दिया। बाहरसे अर्थात अंतर और बाह्य दोनों एकसाथ हो गया। अंतरमें भगवानरूप स्वयं ही परिणमता है। ..अंतरपूर्वक बाहर। भावलिंग, अन्दरसे भाव प्रगट हो और बाहर हो, वह अलग होता है। वैराग्य देखकर ...

... अगाध जिसकी जाननेकी शक्ति है। जाननेवाला यानी जाननेवाला ही। उसमें नहीं जानना ऐसा आता ही नहीं। अनन्त-अनन्त जाननेसे भरा ही है। ऐसा जाननेवाला कौन है? मात्र इतना जाना, इतना जाना, उतना जाननेवाला नहीं, परन्तु वह जानन स्वभाव अनन्त स्वभावसे भरा है। जाननेमें नहीं जानना ऐसा आता नहीं। ऐसा अनन्त- अनन्त जानन स्वभावसे भरा ऐसा वह जाननेवाला कौन है?

ये जड। तो जडके जितने भाग करो उसमें नहीं जानना ऐसा ही आयगा। वह जानता ही नहीं। और जाननेवाला है उसमें इतना जाना ऐसा नहीं, जाननेवाला अर्थात सब जाननेवाला ही है। ऐसा अगाध जाननेवाला वह स्वयं है। वह स्वयं स्वको जाने, निज अनन्त गुण-पर्यायको जाने और अनन्त लोकालोकको जाने। ऐसी अनन्त जाननेकी शक्ति जिसमें है वह (मैं हूँ)। वर्तमान तो विभावमें उसकी दृष्टि है इसलिये जान नहीं सकता है, परन्तु अनन्त-अनन्त जाननेकी, अगाध जाननेकी शक्ति है। ऐसा जाननेवाला वह मैं हूँ। वह मूल है, तत्त्व मूल पदार्थ वह है।

मुमुक्षुः- स्वभाव है, उस पर लक्ष्य जाय तो कार्यसिद्धि हो।

समाधानः- हाँ, तो कार्यसिद्धि हो। अनन्त जाननेका स्वभाव है, कि जिसकी मर्यादा नहीं है। असीम जाननेका स्वभाव है। ऐसा जो तत्त्व, उस पर दृष्टि जाय तो कार्य हो।

मुमुक्षुः- ये वर्तमान वर्तता जो जानपना है,..

समाधानः- वर्तमान वर्तता जो क्षणिक जानपना है वह नहीं, अगाध जाननेवाला। जो जाननहार ही है, जिसमें नहीं जानना ऐसा कुछ है ही नहीं, ऐसा अनन्त जाननेवाला। भले वर्तमानमें पूरा जानता नहीं है, परन्तु उसकी शक्ति जानन-जानन (स्वभावसे) भरी