Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-२४६

जातका लगता है? गुरुदेव साक्षात विराजते हैं, ऐसा भाव आया। उस जातका विडीयोका कोई प्रकाश आ गया है।

मुमुक्षुः- प्रसंग इतना सुन्दर रूप-से मनाया गया कि ऐसा थोडा अनुमान हो कि गुरुदेव साक्षात यहाँ पधारे हों।

समाधानः- हाँ, पधारे हो ऐसा लगे।

मुमुक्षुः- आशीर्वादका फोटो ही ऐसा लगता था कि मानो आशीर्वाद दिये हों। साक्षात पधारे हों।

समाधानः- गुरुदेवका मस्तक और ये सब अलग दिखता था, मानों साक्षात क्यों न हो! ऐसा दिखे। मुझे तो कुछ मालूम नहीं था, सब कहते थे। लेकिन कौन-सा फोटो और क्या लगता है, विडीयोमें अचानक देखा तो ऐसा ही लगा।

मुमुक्षुः- आपकी गुरुदेव प्रति भक्ति ही ऐसी है।

समाधानः- ऐसा हो। बाकी गुरुदेव तो देवमें विराजते हैं।

मुमुक्षुः- ..

समाधानः- कोई-कोई बार बोलू वह आये। बाकी..

मुमुक्षुः- हमे तो उतना ही चाहिये।

समाधानः- प्रसंग हो तब आ जाता है।

मुमुक्षुः- मध्यस्थ लोगोंको तो बहुत लाभ हुआ है। ... कहते हैं कि बहुत..

समाधानः- तत्त्व चर्चा करते हो उस वक्त धूनमें भले यथार्थ आता हो, बाहर प्रकाशित करनेमें चारों पहलू आने चाहिये। वह सब उसमें ध्यान रखना पडे। विडियो तो कभी-कभी लेते हैं।

मुमुक्षुः- आपको तो सहज होता है, उसमें आपको ध्यान रखना पडे...

समाधानः- वह तो सहज आता है।

मुमुक्षुः- चर्चामें चारों पहलूओंको आप समाविष्ट करी ही देते हो। आप कहते हो, लेकिन उस चर्चामें उस विषयमें आप चारों पहलूओंको दूसरे-तीसरे प्रकार-से आ ही जाता है। भाई ऐसा नहीं कहते हैं कि किसीको शंका पडे और दूसरा अर्थ निकाले। ऐसा भी नहीं होता।

समाधानः- पहले दिन चर्चा प्रश्नमें भेदज्ञानकी धून थी तो भेदज्ञानका बोली, फिर दूसरी बार आपने पूछा। फिर चारों पहलूसे स्पष्ट आया। पहले भेदज्ञान पर वजन आया, फिर आपने प्रश्न किया तो ज्यादा स्पष्ट हो गया।

मुमुक्षुः- परन्तु समझनेवाला आत्मा समझ जाता है।

समाधानः- हाँ, वह तो समझ (जाय), आशय समझ जाना चाहिये।