Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

२४६

३९

समाधानः- किसके साथ चर्चा हुयी थी?

मुमुक्षुः- वर्णीजीके साथ।

समाधानः- हाँ, अपने पुरुषार्थकी मन्दता-से रागकी पर्याय होती है। शुद्धात्माकी शुद्ध पर्याय शुद्धात्माके आश्रय-से होती है। और पुरुषार्थकी कमजोरी-से रागकी पर्याय होती है। कर्म करवाता नहीं। कर्म जबरजस्ती नहीं करवाता। आत्मा स्वयं रागरूप परिणमता है।

जैसे स्फटिक हरा, पीला रूप परिणमता है, वह स्फटिक परिणमता है। लाल- पीले फूल उसमें नहीं आते। वह तो निमित्त है। परिणमन स्फटिकका है। वैसे परिणमन चैतन्यका है। और मूल स्वभाव जो स्फटिकका है, उसका नाश नहीं होता। आत्माके मूल स्वभावका नाश नहीं होता है। उसके शुद्ध स्वभावका नाश नहीं होता है।

मुमुक्षुः- पर्याय द्रव्यमें-से निकलती है तो निकलते-निकलते कुछ कम नहीं होती है? अन्दर-से निकलती है तो?

समाधानः- तो-तो द्रव्यका नाश हो जाय। राग भीतरमें नहीं है, रागरूप आत्मा परिणमता है। शुद्धात्माकी शुद्ध पर्याय शुद्धात्माके आश्रय-से होती है। भीतर-से निकलते- निकलते (कम हो जाय) तो द्रव्यका नाश हो जाय। ऐसा नहीं है। द्रव्य तो अनन्त शक्ति (संपन्न है)। अनन्त काल द्रव्य परिणमन करता है तो भी द्रव्य तो ऐसाका ऐसा है।

ज्ञानकी पर्याय एक समयमें लोकालोक जानती है। तो भी अनन्त काल परिणमन करे तो उसमें कम नहीं होता है। ऐसा कोई द्रव्यका अचिंत्य स्वभाव है। उसमें त्रुट नहीं पडती। अनन्त काल परिणमे तो भी।

समाधानः- ... कोई कारण-से द्रव्य उत्पन्न हुआ है या कोई कारण-से उसका नाश होता है, ऐसा नहीं है। द्रव्य अकारण स्वतःसिद्ध अनादिअनन्त है। और उसका जो परिणमन है, वह स्वतः परिणमता है। वह किसीके आश्रय-से परिणमता है या कोई उसे मदद करे तो परिणमता है, कोई उसे विपरीत करे तो विपरीत हो और सुलटा करे तो सुलटा हो, ऐसा नहीं है। अकारण पारिणामिक द्रव्य-उसे कोई कारण लागू नहीं पडता। वह स्वयं परिणमता है।

स्वयं अनादिअनन्त स्वभावमें परिणमे उसमें विभाव अन्दर उसके स्वभावमें प्रवेश नहीं करता। ऐसा अकारण स्वयं अपने स्वभाव-से परिणमता है, ऐसा उसका स्वभाव है। और विभाव हो तो भी वह स्वयं स्वतंत्र परिणमता है। और स्वयं स्वभावको प्रगट करे तो भी स्वतंत्र है। उसमें निमित्त कहनेमें आता है, परन्तु वास्तवमें स्वयं परिणमता है। उसमें कोई कारण लागू नहीं पडता। तो ही उसे द्रव्य कहा जाय कि जिसे कोई कारण लागू नहीं पडता। कोई निमित्तके आश्रय-से परिणमे, किसीकी मदद-से परिणमे तो उस द्रव्यकी द्रव्यता ही नहीं रहती।