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मुमुक्षुः- विकारी पर्यायको भी ... नहीं कह सकते न?
समाधानः- वह अपेक्षा और यह अपेक्षा भिन्न-भिन्न है। उसका स्वभाव भिन्न है। विभाव पर्याय भले सर्वथा भिन्न नहीं है, स्वयं उसमें जुडता है। तो भी उसका भावभेद है। स्वभावपर्यायका भावभेद नहीं है। उसमें और इसमें फर्क है।
... वह तो वैशाख शुक्ला दूज थी न? गुरुदेवकी सब सजावट, जीवन चरित्र इत्यादि था न। उसे देखने गयी थी। उसमें-से फिर ऐसे विचार आये कि ये सब सजावट की है, ऐसेमें गुरुदेव पधारे हो तो बहुत सुन्दर दिखे। गुरुदेव पधारे ऐसा ही यह सब हो रहा है। वही विचार और भावना रहती थी, इसलिये प्रातःकालमें स्वप्न आया कि गुरुदेव देवलोकमें-से देवके रूपमें पधारे। सब पहनावट देवकी, रत्नका हार,ुमुगट इत्यादि देवके रूपमें थे। गुरुदेव पधारो, पधारो ऐसा आया। ऐसा बोलनेमें आया। फिर गुरुदेवने कहा, ऐसा कुछ रखना नहीं, मैं तो यहीं हूँ, बहिन! मैं तो यहीं हूँ। ऐसा तीन बार कहा।
फिर मैंने कहा, मैं तो ऐसा रखूँ, परन्तु ये सबको बहुत दुःख होता है। तो गुरुदेव कुछ बोले नहीं। लेकिन उस वक्त वातावरण ऐसा हो गया था कि मानों गुरुदेव विराजते ही हों। मैंने तो किसीको कुछ कहा नहीं था, परन्तु माहोल ऐसा हो गया था। परन्तु इतना स्वप्न आया था। गुरुदेव देवमें-से आये और ऐसा ही कहा, मैं यहीं हूँ, ऐसा कुछ रखना नहीं। बहिन! मैं तो यहीं हूँ, यहीं हूँ ऐसा तीन बार कहा। बस, उतना। स्वप्न उतना आया था। गुरुदेव है, शरीर देवका था, पहनावट देव की थी। दिखाव सब देवका ही था।
... वे तो हर जगह अलग ही हैं। सर्वसे अलग दिखे ऐसे कुछ अलग ही हैं। तीर्थंकरका द्रव्य, उनके जैसा कोई नहीं था। ऐसा उनका प्रभाव था। चले जाते हो तो मानों भव्य... दूर-से कोई उन्हें भगवान ही कह दे, ऐसे लगते थे। देव हो गये इसलिये अधिक दिव्यमूर्ति हो जाते हैं। .. चले तो ऐसा लगे। दूसरे लोग देखे तो माहोल बदल जाय। दिव्यमूर्ति वही है।
... जानेकी शक्ति नहीं होती। देवके शरीरमें हर जगह जानेकी शक्ति होती है। उनका वैसा वैक्रियक शरीर है, हर जगह जा सके। भगवानके पास जा सके, समवसरणमें जाये। और इस लोकको वे अवधिज्ञान-से देखते हैं। तो लोकमें जहाँ जानेकी भावना आये वहाँ जा सकते हैं। भाव आवे भी, और दूर-से भी देखते हों। अवधिज्ञानमें प्रत्यक्ष देखते हों। भगवानकी उन्हें बहुत भावना थी तो भगवानके पास समवसरणमें जाये। यहाँ आनेकी उन्हें भावना (हो), अवधिज्ञानमें उपयोग रखे तो वे तो प्रत्यक्ष देखते हैं। लोकका अमुक भाग दिखाई दे। जम्बू द्विप, विदेहक्षेत्र आदि सब जम्बू द्वीपमें