अमृत वाणी (भाग-६)
२४२ और जो पुरुषार्थ पर दृष्टि रखकर पलटता है, उसका केवलज्ञानीने ऐसा देखा है कि इसका सुलटा पलटना होगा, ऐसा जाना है। और जो पुरुषार्थ नहीं करता है, उसका वैसा जाना है। वह जाने इसलिये स्वयं पलट न सके ऐसा नहीं है। वह पुरुषार्थ- से पलटेगा ऐसा केवलज्ञान जानता है। यह जीव पुरुषार्थ-से इस प्रकार पलटेगा ऐसा केवलज्ञानी जानते हैं।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!