अमृत वाणी (भाग-२)
२५४ गुंज सुनाई देती है। करना स्वयंको अंतरमें है। अपनी भावना हो वह भविष्यमें फलती है, अभी नहीं फले तो, भविष्यमें फलेगी।
मुमुक्षुः- बहुत धीरजका काम है। समाधानः- हाँ, धैर्य रखनेकी जरूरत है। मुमुक्षुः- धीरज और वैसी की वैसी रुचि। समाधानः- धैर्य रखना है। मुमुक्षुः- एक शुद्धात्मा...
शुद्धात्माको समझानेवाले श्री भगवती मातनो जय हो!
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