२८८ है। उसका आश्चर्य कर। उसकी भावना ही नहीं करता है, उसका आश्चर्य लगता नहीं।
मुमुक्षुः- बहुत खुशी बताते थे कि कैसी सुन्दर रचना हुयी है नंदिश्वरकी।
समाधानः- पंचमेरु नंदिश्वर शाश्वत जिनालय है। कुदरतमें शाश्वत है। यहाँ तो प्रतिष्ठा की है। रत्नके शाश्वत भगवान। कुदरत भगवानरूप परिणमित हो गयी है। कुदरतके सब रजकण, पुदगलके स्कंध भगवानरूप और मन्दिररूप होते हैं। यह ऐसा सूचित करता है कि जगतमें सर्वोत्कृष्ट कोई हो तो तीर्थंकर देव भगवान हैं। मन्दिर आदि जगतमें सर्वोत्कृष्ट है।
वह सर्वोत्कृष्ट है, आत्म भगवान भी सर्वोत्कृष्ट है। सब प्रतिमाएँ आत्माको दर्शाती है। तीर्थंकरदेव उनकी वाणी द्वारा आत्माका स्वरूप समझमें आता है। इन सबका आश्चर्य करनेवाला चैतन्य रत्नाकर सबसे ऊँचा है। बाहरमें सर्वोत्कृष्ट भगवान तीर्थंकर देव और अंतरमें सर्वोत्कृष्ट आत्मा है। कुदरत भगवानको सर्वोत्कृष्ट बता रही है कि हम रजकण भी भगवानरूप परिणमित हो जाते हैं। मेरु नंदिश्वरके ऊपर भगवान आदिका दिखाव किया है।
मुमुक्षुः- ... कुछ तो मिल ही जाता है।
समाधानः- प्रयोग तो स्वंयको करना है। गुरुदेवने स्पष्ट कर-करके बहुत समझाया है। ऐसा स्पष्ट कर दिया है कि किसीको शंका न रहे। इतना तैयार करके दिया। अब प्रयोग करना तो स्वयंको बाकी रहता है। ऐसा तैयार करके दे दिया है, सब तैयार करके (दिया), लेकिन गलेके नीचे तो स्वयंको उतारना पडता है। सब करना तो स्वयंको है। रोटीका निवाला तैयार करके, एकदम स्पष्ट कर-करके, आसान कर-करके जो कठिन समझमें नहीं आता था, उसे एकदम सरल कर-करके समझाया। शास्त्रका रहस्य कोई खोल नहीं सकता था। एकदम स्पष्ट कर दिया। अब करना स्वयंको है, स्वयंको प्रयोग करना बाकी रहता है।
शास्त्रमें सब आता है, गुरुदेवने बहुत स्पष्ट करके कहा है कि भेदज्ञान कर। लेकिन करना तो स्वयंको हो। द्रव्यदृष्टि कर, भेदज्ञान कर। भेदज्ञानका प्रयोग तो स्वयंको करना है। कैसे अंतरमें भेदज्ञानकी परिणित प्रगट करनी? और ज्ञायकको ग्रहण करना, द्रव्य पर दृष्टि करके भेदज्ञान करना, उसे प्रयोगमें रखना वह तो स्वयंको करना है। मार्ग बता दिया है कि बाहरमें कहीं भी मिथ्या प्रयत्न मत कर। अंतरमें द्रव्य पर दृष्टि कर, भेदज्ञान कर। भेदज्ञानका प्रयोग करना है, द्रव्य पर दृष्टि करनी है, परन्तु करना तो स्वयंको है।
अभी बाहर कितने ही ध्यानमें चढ गये हैं, लेकिन सच्चे ज्ञान बिनाका ध्यान मार्ग कैसे प्राप्त हो? अन्दरसे प्रयोजनभूत ज्ञान तो होना चाहिये कि यह ज्ञायक है। उसे