Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-२)

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समाधानः- अभी इस पंचमकालमें ऐसा कुछ होता ही नहीं है।

मुमुक्षुः- पंचेन्द्रिय जीवको बचानेका भाव थे, गति पर तो अच्छी ही असर पडती है न?

समाधानः- हाँ, उसके भाव अच्छे थे। उसे बचानेका भाव हो, वह भाव अच्छा था।

मुमुक्षुः- गति पर उसकी अच्छी असर हुई हो।

समाधानः- उसपरसे कह सके कि अच्छी हुई हो। बचानेका भाव था वह उसका भाव अच्छा था। भाव कोई बुरा नहीं था। अच्छा-पुरा..

मुमुक्षुः- किसी भी जीवकी गति है, वह उसके पूरे जीवनके कार्य पर आधार रखती है या अंतिम भाव पर आधार रखती है?

समाधानः- पूरे जीवनके कार्य पर भी रखती है और अंतिम भाव पर भी रखती है। अंतिम भाव कैसे थे,... वह तो पूरे जीवनका जो होता है वह भाव अंत समयमें आकर खडे रहते हैं।

मुमुक्षुः- पूरे जीवनका टोटल अंतमें आता है।

समाधानः- पूरे जीवनका टोटल अंतमें आता है। पहलेसे ही बचानेका भाव था इसलिये उसे बचानेका भाव ही आया न? उसका स्वभाव ऐसा था कि मैं बचाने जाऊँ। इसलिये उसे बचानेका भाव आया। उसके जीवनमें बचानेके भाव किये थे।

मुमुक्षुः- दानका भाव था, गरीबको मदद करनेका भाव था। समाधानः- उसके जो भाव होते हैं, वह भाव आकर खडे रहते हैं। उस भावमें उसे पुण्य बँधता है। उसकी गति पर कुछ असर नहीं होती। उसकी गति अच्छी होती है। भाव अच्छे हो तो गति अच्छी होती है।

प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!
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