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समाधानः- जूठा नहीं परन्तु प्रयास नहीं करता है। यथार्थ वस्तुके आगे तो सब ऐसा है, परन्तु वह जूठा नहीं है। स्वयंको भावना होती है। परन्तु सच्ची समझ करके ज्ञायकका आश्रय करनेके लिये प्रयास चाहिये, उतना प्रयास नहीं करता है, प्रमाद है। सतके गहरे संस्कार पडे, अपूर्व रुचि अंतरमेंसे हो, कुछ अपूर्वता लगे तो भी आगे जाकर उसे प्राप्त होनेका अवकाश है। परन्तु अन्दरमें उसे अपूर्वता लगनी चाहिये। अपूर्वता लगे, कुछ अलग है, उतना अन्दर आश्चर्य लगना चाहिये। अभी उसे होता नहीं है, प्रयास मन्द है, परन्तु यदि अंतरमें अपूर्वता लगी है तो भविष्यमें भी पुरुषार्थ करके प्राप्त करनेका अवकाश है। शास्त्रमें आता है, "तत्प्रति प्रीतिचित्तेन येन वार्तापि हि श्रुता'। अंतरकी प्रीतिसे तत्त्वकी बात सुनी है तो भी वह भावि निर्वाणका भाजन है। परन्तु वह अंतरकी प्रीति किस प्रकारकी? कोई अपूर्व प्रीति अंतरमेंसे (आये), जो कभी नहीं आयी, वैसी। इस प्रकार तत्त्वकी बात उसे कोई अपूर्व लगे, आश्चर्यकारी लगे और अन्दर आत्मा आश्चर्यकारी लगे तो भविष्यमें उसका पुरुषार्थ हुए बिना रहता नहीं।
मुमुक्षुः- बात यथार्थरूपसे परिणमती नहीं है, तो सत्पुरुष प्रति प्रेममें न्यूनता है? या .. हो सकता है?
समाधानः- सत्पुरुष प्रति प्रेममें न्यूनता और आत्माका प्रेम न्यून है। निमित्त- उपादान एक है। अंतरमें उसे सत्पुरुष प्रति वैसी अपूर्वता लगी नहीं है, अपूर्व महिमा आयी नहीं है यानी कि अंतरमें आत्माकी महिमा, अपूर्वता नहीं आयी है। जैसा यहाँ उपादान और निमित्त,...
जिसे सत्पुरुषकी अपूर्व महिमा आये उसे आत्माकी अपूर्व महिमा आये बिना नहीं रहती। जिसे आत्माकी अपूर्व महिमा आये उसे सत्पुरुषकी महिमा आये बिना नहीं रहती। उसे सत्पुरुषकी महिमा, गुरुकी महिमा अपूर्व नहीं आयी है, तो उसे आत्माकी भी अन्दरमें नहीं लगी है। आत्माकी लगनी ही नहीं है। मुझे आत्मा कैसे प्राप्त हो, ऐसी गहरी लगनी नहीं है, इसलिये उसे सत्पुरुषकी अपूर्व महिमा आती नहीं है। अंतरमें लगे उसे महिमा आये बिना रहती। महिमा जिसे लगे उसे अंतरकी रुचि जागृत हुए बिना नहीं रहती।
मुमुक्षुः- सजीवनमूर्तिके लक्ष्य बिना कल्याण नहीं होता। बहुत लोग कहते हैं कि गुरुदेवकी टेपसे कल्याण हो? विडीयो टेपसे कल्याण हो?
समाधानः- सच्चा मार्ग मिले, मार्ग समझनेका कारण बनता है। समझनेका कारण बनता है, परन्तु देशनालब्धि तो प्रत्यक्ष सत्पुरुषसे प्राप्त होती है। देशनालब्धि होनेके बाद...
ज्ञानकी विशेष निर्मलताके लिये गुरुदेवकी टेप सबको साधन बनता है। जो सत्य मार्ग है उसे जाननेके लिये, शास्त्रके अर्थ क्या है, शास्त्रमें क्या आता है, गुरुदेवने सब