ट्रेक-
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२०९
समाधानः- टेपमें आता था, मैं परमात्मा हूँ, तो ऐसे-ऐसे अंगूली करते थे। रास्तेमें टेप बजाते-बजाते ही ले गये थे। बैठे-बैठे ही सुना। बैठे थे तो ऐसा लगता था कि यह सब क्यों ले जाते हैं?
मुमुक्षुः- हम क्यों ले जाते हैं, ऐसा लगता था। निकले तब लोगोंकी कतार लगी थी। सबको हाथ जोडकर...
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!