Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-
ट्रेक-१४१

१४१ स्वयं अपनेमें रहकर जानता है। स्वभावमें रहकर जानता है।

मुमुक्षुः- जो पर्याय प्रगट नहीं हुई है, उसे भी योग्यतारूप जानते हैं या प्रत्यक्ष जानते हैं?

समाधानः- प्रत्यक्ष जानते हैं। यह प्रगट होनेवाली है, ऐसे प्रत्यक्ष जानते हैं। किस प्रकार, कब प्रगट होगी सब प्रत्यक्ष जानते हैं।

मुमुक्षुः- भगवान महावीरको तेरहवें गुणस्थानमें केवलज्ञान था और सिद्ध हो गये, तो उनकी सिद्धपर्यायको भी जानते हैं?

समाधानः- सिद्धपर्यायको भी जानते हैं और स्वयं केवलज्ञानी थे वह भी जानते हैैं, सिद्धपर्यायको भी जानते हैं, सब जानते हैं। भविष्यमें ऐसा होनेवाला है, यह हुआ है, ऐसे वर्तमान, भविष्य सब जैसा है वैसा जानते हैैं। ऐसा कोई ज्ञानका अपूर्व अगाध स्वभाव है। स्वभाव कोई अपूर्व है। अनन्त.. अनन्त.. अनन्त लोकालोक जाने तो भी उसमें कोई वजन या दूसरा कुछ होता नहीं, परन्तु अनन्त सहज जानता है। शास्त्रमें आता है न? अणुरेणुवत। मानों एक अणु हो वैसे। उससे भी अनन्त लोकालोक हो तो भी जाने, ऐसी आत्मामें जाननेकी शक्ति है।

... उसकी भावना करे, उसकी जिज्ञासा करे। देव-गुरु-शास्त्र, जिन्होंने वह स्वानुभूति प्रगट की, जो उसकी साधना करते हैं उसकी महिमा करे। उसे ध्येय एक आत्माका है कि मुझे ज्ञायक कैसे प्रगट हो? एक आत्माका ध्येय है और ध्येयपूर्वक शुभभावमें देव-गुरु-शास्त्र, अंतरमें ज्ञायक। शुभाशुभ विकल्प मेरा स्वभाव नहीं है। ऐसी ज्ञायककी भावनापूर्वक एक अंश प्रगट करके स्वानुभूति... वह अंश स्वानुभूतिमें प्रगट होता है, बादमें केवलज्ञान प्रगट होता है। जीवको करना वही है और वही सत्य सुप्रभात है। वह प्रभात प्रगट होनेसे केवलज्ञान उत्पन्न होता है, पूरा सूर्य प्रगट होता है।

... दृष्टि करे। सब जानने जाय, परन्तु जो स्वयंको नहीं जानता है, वह वास्तविकरूपसे दूसरेको सत्य नहीं जानता है। स्वयंको जानने पर अन्य सहज ज्ञात हो जाता है। स्वयंको जाने उसमें दूसरा सहज आ जाता है।

मुमुक्षुः- जैसा सूर्य है वैसा आत्माका स्वरूप है? जैसे सूर्यमें मलिनता नहीं है, वैसे आत्मामें भी मलिनता नहीं है।

समाधानः- सूर्यमें मलिनता नहीं है, वैसे आत्मामें नहीं है। वह तो दृष्टान्त है। जैसे सूर्य मलिनता रहित है, वैसे आत्माका निर्मल स्वभाव है, उसमें कोई मलिनता नहीं है। वस्तुमें मलिनता नहीं है, पर्यायमें (है)। पर्यायकी शुद्धि, द्रव्य पर दृष्टि करे तो पर्याय निर्मल होती है।

... जैसे एक हजार किरणोंसे प्रकाशित होता है, वैसे आत्मा तो अनन्त किरणोंवाला