Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-२)

९२ एक ही होते। गुरुदेव स्वयं बारंबार पधारते। ..बहनको गुरुदेव पर कितनी भक्ति थी! सबने उतनी उदारता रखी। भगवान पर तो सबको भाव होता है। गुरुदेवने मार्ग बताया है, गुरुदेवने भगवान बताये, गुरुदेवने शास्त्र (दिखाये), सब गुरुदेवने ही बताया है, सब गुरुदेवका ही उपकार है।

गुरुका स्वरूप, देवका स्वरूप, शास्त्रका स्वरूप, सब गुरुदेवने बताया है। कोई कुछ नहीं समझता था। और अन्दर ज्ञायक, सब गुरुदेवने (बताया)। स्वानुभूति, मोक्षमार्ग, मुनिका स्वरूप आदि सब गुरुदेवने बताया। मूल मार्ग पूरा गुरुदेवने बताया है।

.. इसलिये प्रतिष्ठा करनेमें सब विघ्न आते रहते हैं। आप सबकी भावना है कि गुरुदेवके प्रतापसे सब ठीक हो जाता है।

मुमुक्षुः- गुरुदेव पहले जामनगर पधारे थे, उस वक्त बहुत विरोध था। और बाहर सब बातें करते थे। तब गुरुदेव आते थे, उस वक्त सब विरोध शांत हो गये थे। वैसे अभी सूर्यकीर्ति भगवानकी स्थापना की तो सब विरोध शांत हो गया।

प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!
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