Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-२)

९४ आया कि), यह राजकुमार भविष्यमें तीर्थंकर होनेवाले हैं। वाणी समवसरणमें प्रसर गयी थी। यह राजकुमार तीर्थंकर होनेवाले हैं, (यह सुनकर) सबको आनन्द हुआ। समवसरणमें बात प्रसिद्ध हुयी।

मुमुक्षुः- ... आनन्द-आनन्द हो गया..

समाधानः- जिसे आनन्द हो उसे होता है।

मुमुक्षुः- गुरुदेव पहलेसे ही कहते थे, शंका नहीं करना, यह पंचमकाल है, हजम नहीं होगी, कहीं बात मत करना।

समाधानः- स्थापना हो सकती है उसकी दलील चीमनभाई, चंदुभाई... दिगम्बर समाज पूरा विरूद्ध हो जाये। अभी उन्हें शांत रहनेका एक कारण होता है। किसीका आदर करनेमें दिक्कत नहीं है। अपने भगवान सुरक्षित रहे। कोई समाजको तकलीफ नहीं हो। अभी तो कितने भगवान होनेवाले हैं। उसके पहले यहाँ पूजा, भक्ति करनेका भाग्य मिले... ये तो आनन्दकी बात है। भगवान तो जब होंगे तब तो... अभी तो कितने भगवान होनेवाले हैं। जिस दिन भगवान होंगे उस दिन पूजा, भक्तिका ईंतजार करना, उसके बदले अभी ही पूजा, भक्ति (कर लें)। प्रसंग आया है उसे कौन दूर कर सकता है? ईंतजार करनेके बजाय अभी ही पूजा, भक्तिका प्रसंग है, उसमें जो भक्तिवाले हैं उन्हें कहीं मुदत आडे नहीं आती। उसे भक्ति उछलती है। .. ऐसी बात है। यह राजकुमार तीर्थंकर होनेवाले हैं।

मुमुक्षुः- गुरुदेवने स्वयं उत्सव मनाया ऐसा है क्या?

समाधानः- ऐसा कुछ नहीं है। ऐसा कोई ख्याल नहीं आता। विमलनाथ भगवानने उत्सव मनाया था। अगले भवमें होने वाले हैं, उन्होंने उत्सव मनाया है। बहुत समीप है। वहाँ-से देवमें जाकर तुरन्त तीर्थंकर होने वाले थे न। उन्होंने उत्सव मनाया। स्वयंने उत्सव मनाया। स्वयंको आनन्द हो गया है। स्वयंको ख्याल तो होता है, परन्तु भगवानने कहा इसलिये अधिक आनन्द आया, इसलिये उत्सव मनाते हैं। घातकि खण्ड द्विपमें पूर्व भवमें थे। पूर्वमें घातकी खण्डके कितने ही तीर्थंकर यहाँ पधारे हैं। दो-चार भगवानके तो यहाँ चित्र है। पूर्व भवमें घातकी खण्डमें थे, वहाँ तीर्थंकर गोत्र बाँधा, यहाँ भरत क्षेत्रमें तीर्थंकर हुए हैं। .. घातकी खण्डमें थे। ... तीर्थंकर होनेवाले हैं, तो उन्हें आनन्द हो गया है। आगामी भवमें तीर्थंकर होनेवाला हूँ, यह बात सुनकर उन्हें एकदम आनन्द आ गया। स्वयं ही उत्सव मनाते हैं। शास्त्रमें आता है, मैं तीर्थंकर हूँ, इसप्रकार उत्सव मनाया है।

मुमुक्षुः- त्रिलोकीनाथने तिलक किया।

समाधानः- गुरुदेवको वह बात कही इसलिये फिर शुरूआतमें प्रवचनमें बोलते